Ranchi : भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थल पर सरना झंडा को लेकर उत्पन्न विवाद और निशा भगत के खिलाफ दर्ज शिकायत के संबंध में सामाजिक संगठनों एवं अगुवाओं की बैठक धुर्वा सेक्टर-3, एन टाइप स्थित धूमकुड़िया में आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता मेघा उरांव ने की.
निशा भगत के समर्थन में उतरे सामाजिक संगठन
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि निशा भगत द्वारा बाइबल और अन्य पुस्तकों पर जो तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं, वे सत्य हैं और उन्हें प्रमाणित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि वर्षों से चर्च मिशनरियों द्वारा आदिवासी समाज की संस्कृति और पर्व-त्योहारों का मौखिक और लिखित अपमान किया जाता रहा है.
सरना स्थल पर बने चर्च और ग्रोटो को लेकर कार्रवाई की मांग
मेघा उरांव ने कहा कि गुमला जिला के चैनपुर प्रखंड के टीन टांगर गांव में रोमन कैथोलिक मिशन द्वारा सरना भूमि पर करीब 2 एकड़ 56 डिसमिल पर चर्च और ग्रोटो बना दिया गया है. इस जमीन को अंचल कार्यालय द्वारा सरना स्थल के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है. इस मुद्दे पर पूर्व में ज्ञापन दिए जाने के बावजूद कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हुई.
क्रिश्चियन कभी आदिवासी नहीं हो सकता : सनी उरांव टोप्पो
सनी उरांव टोप्पो ने कहा कि धर्मांतरित व्यक्ति आदिवासी नहीं रह सकता और न ही वह सरना झंडा या प्रतीकों का उपयोग कर सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि ईसाई समुदाय के लोग जमीन बचाने के बहाने सरना झंडा गाड़ रहे हैं, जो गलत है.
जनजाति सुरक्षा मंच ने आंदोलन की चेतावनी दी
जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक संदीप उरांव ने कहा कि यह लड़ाई केवल निशा भगत की नहीं, बल्कि पूरे मूल आदिवासी समाज की है. उन्होंने चुनौती दी कि बाइबल और अन्य पुस्तकों से जुड़े तथ्यों को न्यायालय में प्रमाणित किया जाएगा. यदि ईसाई मिशनरी अपने रवैये से बाज नहीं आए, तो यह आंदोलन देशभर में होगा.
बैठक में ये थे मौजूद
मेघा उरांव, संदीप उरांव, सनी उरांव, जय मंत्री उरांव, अजय उरांव, जगन्नाथ भगत, चरवा उरांव, बिरसा उरांव, बिगल उरांव, विशु उरांव, लूथरू उरांव, बजरंग टाना भगत समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे.
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