Saurav Shukla
Ranchi: दो साल का वो मासूम तो अपनी मां के गोद में सिर रखकर रिम्स अस्पताल आया था. उसकी सांस तो अभी थमी भी नहीं थी. वो कोरोना संक्रमित जरूर था, लेकिन मां की ममता उसे जीने का हौसला दे रही थी. उसे तो ये मालूम भी नहीं था कि जिस ईश्वर ने उसे धरती पर भेजा है वो उसे इतनी जल्दी अपने पास वापस बुला लेगा. कोरोना के कारण दो साल का बिट्टू असमय काल के गले में समा गया. उसकी मौत के बाद मां की ममता भी दागदार हो गयी. वो मां कैसी थी जिसने 9 महीने तक अपने गर्भ में पालने के बाद बिट्टू को जन्म दिया. लेकिन जब दो गज जमीन की जरुरत थी तो उसने अपने लाडले से मुंह फेर लिया. वो कैसी मां थी जिसे अपने कलेजे के टुकड़े पर दया नहीं आया. वो मां इतनी निर्दयी कैसे हो गयी कि उसने अपने बच्चे की लाश को अस्पताल में छोड़ चली गयी.
11 मई को रिम्स में हुआ था भर्ती, 12 को हुई मौत
2 साल का बिट्टू बिहार के जमुई जिले के चकाई थाना क्षेत्र के नईडीह का रहने वाला था. पिता शंकर यादव इलाज के लिए 11 मई को रिम्स पहुंचे थे. यहां पीडियाट्रिक सर्जरी के यूनिट-1 में डॉ हीरेंद्र बिरुआ की देखरेख में उसका इलाज चल रहा था. लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मौत की खबर सुनते हैं परिजन शव को छोड़ अस्पताल से फरार हो गए.
रिम्स के कर्मचारी करते रहे फोन, परिजन काटते रहे फोन
रिम्स के कर्मचारी बिट्टू के परिजन को कई बार कॉल कर शव के अंतिम संस्कार के लिए कह रहे थे. लेकिन परिजन रॉन्ग नंबर कहकर फोन काट देते थे. 2 दिन तक इंतजार करने के बाद रिम्स कर्मचारियों ने बच्चे के शव को अंतिम संस्कार के लिए घाघरा घाट भेज दिया.
ट्रॉलीमैन बना बच्चे का परिजन, गोद में उठा ले गया शव
जब इंसानियत खत्म हो रही थी. मां की ममता मर गई थी. उस वक्त रिम्स का ट्रॉलीमैन रोहित बेदीया आगे आया. उसने बच्चे के शव का अंतिम संस्कार कराने का बीड़ा उठायी. बच्चे के शव को अपनी गोद में लेकर एंबुलेंस में बैठकर नामकुम के घाघरा श्मशान घाट गया.