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निकायों को डीपीआर तैयार करने का निर्देश
नगर निकायों को 15वें वित्त आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक टाइड और अनटाइड फंड से शहर की जरूरत के हिसाब से एयर एम्बिएंट इंप्रूवमेंट प्लान की डीपीआर तैयार करने का निर्देश जारी किया है. डीपीआर को तकनीकी स्वीकृति मिलने और निकायों के बोर्ड से पारित कराने के बाद इसे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सामने रखकर स्वीकृत कराया जाएगा. नगर निगम क्षेत्र में 10 से 25 करोड़ तक की योजना बनाई जाएगी. वहीं मिलियन प्लस सिटी में लगभग 80 करोड़ की योजना तैयार की जाएगी. इसे भी पढ़ें -किरीबुरु">https://lagatar.in/in-kiriburu-on-november-17-the-leaders-who-jammed-the-hood-spread-the-dirt-the-children-cleaned/">किरीबुरुमें 17 नवंबर को हुड़का जाम करने वाले नेताओं ने फैलाई गंदगी, बच्चों ने की सफाई
प्रदूषण लेबल को PM 10 से नीचे लाने के लिए लगेंगे CAAQMS
प्रदूषण लेवल को PM 10 से नीचे लाने के लिए शहरों में एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनटरिंग स्टेशन (CAAQMS) स्थापित किये जाएंगे. इसी के जरिये शहर के वातावरण में धूल कणों और पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली जहरीली गैसों का पता लगाया जा सकेगा. इसमें तकनीकी सहायता के लिए नगर विकास विभाग ने बीआईटी मेसरा और आइएसएम धनबाद के साथ एमओयू किया है. सभी नगर निकायों में प्रदूषण की वजह और उसका लेवल अलग-अलग तरह का है. रांची में जहां वाहनों से ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है, वहां धनबाद और जमशेदपुर में कोल माइंड और औद्योगिक इकाइयों के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. इसी को ध्यान में रखते हुए नगर निकाय प्रदूषण के लेवल के हिसाब से कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं. इसे भी पढ़ें -कृषि">https://lagatar.in/reaction-of-film-stars-on-withdrawing-agriculture-law-taapsee-sonu-and-others-appreciated-pm-modis-decision/">कृषिकानून वापस लेने पर फिल्मी सितारों की प्रतिक्रिया, तापसी, सोनू सहित अन्य ने पीएम मोदी के फैसले को सराहा
कैसे काम करेंगे CAAQMS स्टेशन
एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनटरिंग स्टेशन (CAAQMS) शहर के प्रदूषित वातावरण में धूल कणों और जहरीली गैसों का पता लगाएंगे. इस स्टेशन में विशेष उपकरण लगाए जाते हैं. इसमें लगे उपकरण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले छह हानिकारक कारकों को भांप कर समय से पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लगाने में कारगर साबित होंगे. इन स्टेशनों में कई तरह के सेंसर लगे होते हैं, जो शहर की वायु में प्रदूषणों के मानकों की रियल टाइम सूचना देंगे. वातावरण में हानिकारक गैसों की मात्रा अधिक होने पर सेंसर सूचना को एकत्र कर कंट्रेल रूम में भेजेंगे. वायु में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन की अधिकता होते ही ये कंट्रोल रूम को डाटा भेजेगा. इससे सूचना के अनुसार, प्रशासन द्वारा समय पर बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकेंगे. इन सेंसर के जरिए ध्वनि प्रदूषण, तापमान, आद्रता और अल्ट्रावॉयलेट किरणों के साथ ही बारिश का भी पता लगाया जा सकता है. नैनो तकनीक पर आधारित जर्मन डस्ट सेंसर महीन धूल कणों की मात्रा का सही माप करने में भी सक्षम है. इसे भी पढ़ें -कृषि">https://lagatar.in/former-jammu-and-kashmir-cm-farooq-abdullah-was-happy-with-the-repeal-of-the-agriculture-law-said-now-modi-government-should-restore-article-370/">कृषिकानून रद्द होने से खुश हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला, कहा, अब Article 370 बहाल करे मोदी सरकार [wpse_comments_template]
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