- बीआईटी मेसरा और ISM के साथ समझौते के 8 महीने बाद हवा सुधारने की कवायद तेज
Ranchi : झारखंड के नगर निकायों ने एयर एम्बिएंट इंप्रूवमेंट प्लान बनाना शुरू कर दिया है. नगर विकास विभाग, बीआईटी मेसरा और ISM धनबाद के साथ हुए समझौते के 8 महीने बाद इसपर युद्ध स्तर पर काम शुरू हो गया है. नगर विकास विभाग ने निकायों को प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया. शहरों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए 368 करोड़ की योजनाओं का डीपीआर तैयार किया जा रहा है. 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए यह राशि मिलेगी. गौरतलब है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 2020-2025 तक के लिए शहरों की वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए वर्षवार लक्ष्य तय किया है. इसी के तहत झारखंड में भी योजना बनाई जा रही हैं. खासकर पीएम 10 और 2.5 कणों की वायु में मात्रा सुधारने पर फोकस किया जा रहा है.
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निकायों को डीपीआर तैयार करने का निर्देश
नगर निकायों को 15वें वित्त आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक टाइड और अनटाइड फंड से शहर की जरूरत के हिसाब से एयर एम्बिएंट इंप्रूवमेंट प्लान की डीपीआर तैयार करने का निर्देश जारी किया है. डीपीआर को तकनीकी स्वीकृति मिलने और निकायों के बोर्ड से पारित कराने के बाद इसे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सामने रखकर स्वीकृत कराया जाएगा. नगर निगम क्षेत्र में 10 से 25 करोड़ तक की योजना बनाई जाएगी. वहीं मिलियन प्लस सिटी में लगभग 80 करोड़ की योजना तैयार की जाएगी.
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प्रदूषण लेबल को PM 10 से नीचे लाने के लिए लगेंगे CAAQMS
प्रदूषण लेवल को PM 10 से नीचे लाने के लिए शहरों में एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनटरिंग स्टेशन (CAAQMS) स्थापित किये जाएंगे. इसी के जरिये शहर के वातावरण में धूल कणों और पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली जहरीली गैसों का पता लगाया जा सकेगा. इसमें तकनीकी सहायता के लिए नगर विकास विभाग ने बीआईटी मेसरा और आइएसएम धनबाद के साथ एमओयू किया है. सभी नगर निकायों में प्रदूषण की वजह और उसका लेवल अलग-अलग तरह का है. रांची में जहां वाहनों से ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है, वहां धनबाद और जमशेदपुर में कोल माइंड और औद्योगिक इकाइयों के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. इसी को ध्यान में रखते हुए नगर निकाय प्रदूषण के लेवल के हिसाब से कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं.
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कैसे काम करेंगे CAAQMS स्टेशन
एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनटरिंग स्टेशन (CAAQMS) शहर के प्रदूषित वातावरण में धूल कणों और जहरीली गैसों का पता लगाएंगे. इस स्टेशन में विशेष उपकरण लगाए जाते हैं. इसमें लगे उपकरण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले छह हानिकारक कारकों को भांप कर समय से पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लगाने में कारगर साबित होंगे. इन स्टेशनों में कई तरह के सेंसर लगे होते हैं, जो शहर की वायु में प्रदूषणों के मानकों की रियल टाइम सूचना देंगे. वातावरण में हानिकारक गैसों की मात्रा अधिक होने पर सेंसर सूचना को एकत्र कर कंट्रेल रूम में भेजेंगे. वायु में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन की अधिकता होते ही ये कंट्रोल रूम को डाटा भेजेगा. इससे सूचना के अनुसार, प्रशासन द्वारा समय पर बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकेंगे. इन सेंसर के जरिए ध्वनि प्रदूषण, तापमान, आद्रता और अल्ट्रावॉयलेट किरणों के साथ ही बारिश का भी पता लगाया जा सकता है. नैनो तकनीक पर आधारित जर्मन डस्ट सेंसर महीन धूल कणों की मात्रा का सही माप करने में भी सक्षम है.
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