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मैट्रिक-इंटर परीक्षा में फीस बढ़ोतरी पर आइसा ने चेताया - वापस नहीं लिया तो राज्यव्यापी आंदोलन

Ranchi: झारखंड में मैट्रिक और इंटर परीक्षा फीस बढ़ाए जाने के खिलाफ छात्र संगठनों का विरोध तेज होता जा रहा है. ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर JAC (झारखंड एकेडमिक काउंसिल) द्वारा 2026 परीक्षा शुल्क में की गई भारी वृद्धि को “गरीब और आदिवासी छात्रों पर सीधी मार” बताया है.

 

आइसा ने कहा कि JAC द्वारा मैट्रिक परीक्षा शुल्क में 290 और इंटर परीक्षा शुल्क में 340 रूपये की बढ़ोतरी ऐसे समय में की गई है, जब झारखंड में आर्थिक और शैक्षिक चुनौतियां पहले से ही गंभीर हैं. 
संगठन के अनुसार, इस फैसले का सबसे अधिक असर उन लाखों गरीब एवं आदिवासी परिवारों पर पड़ेगा, जिनके बच्चे पहले से ही शिक्षा व्यवस्था से जूझ रहे हैं.

 

UDISE+ 2023–24 के आंकड़ों का हवाला देते हुए आइसा ने बताया कि झारखंड में -

 

* कक्षा 9–10 पर ड्रॉपआउट दर 15% से अधिक है, जो राष्ट्रीय औसत 12.6% से ज्यादा है.
* कक्षा 11–12 पर यह दर बढ़कर 22.4% तक पहुंच गई है.
* आदिवासी बहुल जिलों गुमला और लोहरदगा में यह आंकड़ा 28–32% तक है.

 

ऐसे में  इंटर परीक्षा शुल्क को 1900 रूपये तक पहुंचा देना आइसा के अनुसार “शिक्षा से छात्रों को बाहर धकेलने” जैसा कदम है. संगठन ने बताया कि ग्रामीण झारखंड के लगभग 70फीसदी परिवार बीपीएल श्रेणी में आते हैं, जबकि प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 40 फीसदा कम है. ऐसी परिस्थिति में परीक्षा शुल्क बढ़ाना गरीब छात्रों के लिए बाधक सिद्ध होगा.

 

आइसा ने सवाल उठाया कि जब JAC ने 2023-24 में 42 करोड़ रुपये का सरप्लस दिखाया है, तो अभिभावकों और छात्रों से बिना किसी चर्चा के इतनी भारी फीस बढ़ोतरी किस आधार पर की गई?
संगठन ने यह भी कहा कि बिहार, यूपी और छत्तीसगढ़ जैसे पड़ोसी राज्यों में परीक्षा शुल्क झारखंड से काफी कम है. ऐसे में झारखंड में सबसे अधिक फीस लागू करना “शिक्षा का व्यावसायीकरण” प्रतीत होता है.

 

साथ ही UDISE+ के ताज़ा आंकड़ों में हायर सेकेंडरी स्तर पर 47:1 शिक्षक-छात्र अनुपात दिखाया गया है, जो गंभीर शिक्षक संकट की ओर इशारा करता है. आइसा ने कहा कि समस्याओं का समाधान खोजने के बजाय सरकार और JAC छात्रों पर आर्थिक बोझ डाल रहे हैं.
आइसा के राज्य सचिव त्रिलोकी नाथ ने स्पष्ट कहा कि अगर सरकार फीस वृद्धि वापस नहीं लेती, तो आइसा राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने के लिए बाध्य होगा.

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