Ranchi : आजसू पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आज पूर्व विधायक लंबोदर महतो और प्रवीण प्रभाकर ने एक प्रेस वार्ता की. इस प्रेस वार्ता में उन्होंने ओबीसी आरक्षण, ट्रिपल टेस्ट और पंचायत चुनाव के विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरा.
लंबोदर महतो ने कहा कि झारखंड राज्य में 55% आबादी पिछड़ी जाति की है और उनके हक और अधिकार की रक्षा के लिए उनकी सरकार ने हमेशा संघर्ष किया. उन्होंने यह भी बताया कि जब आजसू की सरकार थी, तब उन्होंने पिछड़ों के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया था, चाहे वह जिला परिषद, मुखिया, पंचायत समिति या वार्ड सदस्य का पद हो. उस समय झारखंड में कुल 10,500 से ज्यादा पद पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित किए गए थे.
लंबोदर ने आरोप लगाया कि 2022 में जब हेमंत सरकार ने पंचायत चुनाव करवाए, तो उसने पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित 10,500 पदों को पूरी तरह से हटा दिया और इन पदों को सामान्य श्रेणी में बदल दिया. इसके बाद आजसू पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई, जहां सरकार ने हलफनामे के माध्यम से यह कहा था कि अब झारखंड में हर चुनाव से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाएगा.
लंबोदर ने कहा कि तीन साल गुजरने के बाद भी सरकार ने ट्रिपल टेस्ट नहीं कराया और पिछड़ों को आरक्षण देने में पूरी तरह से असफल रही है.लंबोदर महतो ने अंत में सरकार से मांग की कि वह तत्काल ट्रिपल टेस्ट कराए और पंचायत और नगर निकाय चुनावों में ओबीसी को आरक्षण देने की सुनिश्चितता प्रदान करे.
प्रवीण प्रभाकर ने हेमंत सरकार की नीयत और नीति पर सवाल उठाए. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार राज्य की बड़ी आबादी को उनके अधिकार से वंचित रखने के लिए लगातार साजिश कर रही है. प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि यह सरकार ओबीसी विरोधी है और यदि आजसू का दबाव न होता तो यह सरकार ट्रिपल टेस्ट के मुद्दे पर कोई कदम नहीं उठाती. उन्होंने यह भी कहा कि समय आने पर वे इस बात के सबूत प्रस्तुत करेंगे कि बिना किसी घर गए ट्रिपल टेस्ट कैसे पूरा हुआ.
प्रवीण प्रभाकर ने इंदिरा साहनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि इस मामले में यह स्पष्ट किया गया था कि विशेष परिस्थितियों में 50% से अधिक आरक्षण दिया जा सकता है, जो कई राज्यों में दिया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार आदिवासियों और पिछड़ों को धोखा दे रही है और जनभावना को कुचलने का काम कर रही है.