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बंद में राजधानी का लगभग हर चौराहा रहा जाम, राहगीर हुए परेशान

Ranchi : आदिवासी संगठनों ने आज झारखंड बुलाया है. यह बंद आदिवासी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा, जमीन विवाद और विकास योजनाओं को लेकर बुलाया गया है. आज के बंद का असर भी रांची में सबसे ज्यादा है. राजधानी के कई चौक-चौराहों पर प्रदर्शनकारियों ने रस्सी बांधकर जाम कर रखा है.

यदि किसी को लालपुर चौक जाना हो और कचहरी चौक होकर जा रहा हो तो भारी दिक्क्त है. जाम चली जाएगी पर प्रदर्शकारी जाने नहीं देंगे. आज मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. डॉक्टर का 
एक अर्जेंट अप्वाइंटमेंट था. अरगोड़ा चौक से होते हुए हरमू चौक तक पहुंचने पर सिर्फ पुलिस ही पुलिस ही नजर आ रही थी. किसी भी प्रदर्शकारी का कोई नामोनिशान नहीं था.
फिर हरमू चौक से किशोरगंज और रातू रोड फिलाईओवर तक ना तो ट्रैफिक की शोर और ना ही कोई जाम या प्रदर्शकारी ही देखने को मिला. रातू रोड पार करते ही कचहरी चौक की तरफ बढ़ने पर चहल-पहल बढ़ रही थी. चौक पार करते ही ज्यों ही JSSC कार्यालय पहुंची तो वहां पर असली नजारा दिख रहा था. 


जेल चौक पर काफी संख्या में प्रदर्शकारी मौजूद थे. और लंबा जाम था. एक-एक कर लोग आगे बढ़ रहे थे और दूसरी ओर से मुड़कर वापस लौट रहे थे. क्योंकि वहां प्रदर्शनकारियों ने रस्सी लगा रखा था और साथ में सरना झंडा लहरा रहे थे. जब मैने आगे जाने देने की रिक्वेस्ट की तो जवाब मिला कोई और रास्ता देख लें... ये तो नहीं खुलने वाला है.


रहा नहीं गया तो मैंने पूछ ही लिया कि बंद क्यों बुलाया है भाई...उसने कहा कि कई मांगे हैं..सबसे पहला तो सिरमटोली रैंप का विरोध कर रहे हैं. मैंने पूछा कि वहां का मामला क्या है तो वो पूरी तरह से बता नहीं पाया. खींझ गया और कहा आगे अपने रास्ते जाइए. यानि कि बंद भी बुला लिया तो मुद्दा तो सही पढ़ो भाई..सिर्फ रोड ब्लॉक कर परेशान करने का क्या फायदा.


खैर वहां से आगे बढ़कर मैंने कचहरी चौक से बाएं कटकर अंदर का एक रास्ता. जैसा कि सभी ले रहे थे. रास्ता एक मुहल्ले के अंदर से जा रहा था और जाकर बरियातु से पहले किसी शॉर्टकट रास्ते में जाकर मिला.फिर वहां किसी से पूछा तो उसने बताया कि बाएं से कटकर लालपुर की ओर जा सकते है.


फिर बाएं से मुड़कर मैंने दूसरा रास्ता लिया... लगा चलो अब तो पहुंच ही गये. लेकिन अगले ही पल वहां भी एक रस्सी बंधी हुई थी और प्रदर्शकारी सड़क पर लोटकर सरना झंडा लेकर विरोध कर रहे थे. कहना था उनका कि जान दे देंगे... लेकिन अपनी लड़ाई नहीं छोड़ेंगे... अब तो ये रास्ता भी बंद हो गया.

 

आगे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या करूं...हालांकि एक भाई साहब मिले कहा कि बरियातु के एसएन यादव चौक से रास्ता कटकर ले लिजिए..इतने में पास ही मौजूद दूसरे शख्स ने कहा कि कोई फायदा नहीं इधर के सारे रास्ते बेद ही कर दिए गए हैं.
यानि कि फुल एंड फाइनल यही रहा कि सिर्फ और समय और इंधन बर्बादी करनी है तो शहर में घूम लिजिए..लेकिन काम कोई भी जरूरी हो शायद ही हो पूरा हो पाए...


              

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