LagatarDesk : अमरनाथ की यात्रा 30 जून से शुरू होगी. जो 11 अगस्त यानी रक्षाबंधन तक रहेगी. कोरोना महामारी के कारण पिछले दो सालों से यात्रा पर प्रतिबंध था. लेकिन सब कुछ सामान्य होने के कारण अमरनाथ यात्रा का आरंभ हो रहा है. श्रद्धालु बाबा अमरनाथ धाम के दर्शन दो सालों के बाद कर पायेंगे. ऐसे में उनमें काफी उत्साह है. (पढ़े, रांची हिंसा मामला : जवाब देने के लिए महाधिवक्ता ने मांगा समय, 8 जून को होगी अगली सुनवाई)
यात्रा को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम
अमरनाथ यात्रा को लेकर श्राइन बोर्ड ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं. यात्रियों को आपदा से बचाने के लिए रेस्क्यू टीमें तैनात की गयी हैं. पहलगाम और बालटाल रूट पर 20 जगहों पर 36 टीमों को तैनात किया गया है. इसके अलावा लखनपुर से लेकर श्रीनगर तक एसडीआरएफ सिविल डिफेंस की 22 टीमें भी तैनात रहेंगी.
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टीमों को सेना और पुलिस के प्रशिक्षण केंद्रों में किया गया प्रशिक्षित
पहली बार इन टीमों को सेना और पुलिस के प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षित किया गया है. ताकि यात्रा में किसी भी तरह की आपदा से निपटने में यह टीमें सबसे पहले मदद करें. इन टीमों को पर्वतारोहण बचाव दल का नाम दिया गया है. दलों में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और जम्मू कश्मीर आर्म्ड पुलिस शामिल हैं. अमरनाथ यात्रा को देखते हुए 25 जून से चंदनबाड़ी, बेताब घाटी और आडू घाटी के रास्तों पर आम पर्यटकों की आवाजाही पर रोक रहेगी.
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चंद्रमा की रोशनी के आधार पर शिवलिंग का आकार बढ़ता-घटता
यह दुनिया का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है, जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है. हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शिवलिंग पूरा आकार में आता है और उसके बाद अमावस्या तक घटते चला जाता है. मान्यता है कि शिव-पार्वती की अमरकथा सुनने वाला कबूतर का जोड़ा आज भी यहां पर दिखायी देता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में ही माता पार्वती को अमर होने का रहस्य बताया था.
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