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क्या कांग्रेसी नेताओं की नीति और नीयत पर सवाल खड़े नहीं करती अमिताभ रंजन की मौत!

Ranchi : मौत पर किसी का वश नहीं चलता. हर व्यक्ति के लिए एक तिथि निर्धारित है कि उसे कब दुनिया छोड़ कर चले जाना है. इस कोरोना महामारी में बहुतेरे ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपने परिजनों और करीबी लोगों को खोया है. ऐसे ही एक व्यक्ति थे, झारखंड प्रदेश कांग्रेस प्लानिंग व स्ट्रैटेजी के सदस्य अमिताभ रंजन. अभिताभ रंजन आज हमारे बीच नहीं हैं. सोमवार रात को उनका मेडिका अस्पताल में निधन हो गया.

अमिताभ रंजन कोरोना वायरस से संक्रमित थे. उनका अचानक चले जाने से जहां उनके चाहने वालों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है, वहीं उनके निधन के बाद प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की नीति और नीयत पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन की सरकार में कांग्रेस कोटे के चार मंत्री होने के बाद भी एक सक्रिय पार्टी कार्यकर्ता को कोई खास मदद नहीं मिल सकी.

नेता की उपेक्षा से आहत हैं जमीनी कार्यकर्ता

अमिताभ रंजन के निधन से काफी आहत एक कार्यकर्ता ने अपनी पीड़ा lagatar.in के साथ साझा की. उन्होंने बताया कि राजनीति करने वाले सभी लोगों के लिए अभिताभ रंजन का चले जाना एक बड़ी नसीहत है कि राजनीति में कोई किसी की मदद नहीं करता. खासकर अगर पार्टी सत्ता में हो, तब भी कार्यकर्ता को मदद नहीं मिलना काफी दर्दनाक है.

किसी कांग्रेसी नेता ने अमिताभ की सुध नहीं ली

उन्होंने बताया कि पांच-छह दिन पहले अमिताभ रंजन कोरोना संक्रमित पाये गये. लेकिन किसी भी कांग्रेसी नेता या मंत्री ने उसकी मदद तक नहीं की. बाद में एनएसयूआई के एक कार्यकर्ता ने अमिताभ रंजन के घर तक ऑक्सीजन पहुंचाया, बाद में जब स्थिति बिगड़ी, तो उसे मेडिका में एडमिट भी कराया. इस बीच शायद ही किसी कांग्रेसी नेता ने अमिताभ रंजन की सुध ली. हालांकि इलाज के दौरान उनकी हालत बिगड़ती चली गयी और उनका निधन हो गया. अब अभिताभ रंजन हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका चले जाना पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ी नसीहत है.

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