Exclusive: यूपी जेल प्रशासन ने जिस नाइट विजन कैमरा को 4.21 लाख में खरीदा, झारखंड पुलिस ने 15 लाख में, बिना टेंडर भी ऑर्डर

Ranchi: झारखंड पुलिस के लिए पुलिस मुख्यालय के स्तर से की जा रही सुरक्षा उपकरणों की खरीद में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ रहे हैं. Lagatar Media  ने कल (6 जून 2025) एक्स-रे-बैगेज की खरीद में हुई गड़बड़ी  का खुलासा किया था. आज हम बात करेंगे एनवीडी (नाईट विजन डिवाईस) की खरीद में हुई गड़बड़ी की. एनवीडी की खरीद में सरकार को 1.10 करोड़ रुपया अधिक भुगतान करना पड़ा. यह राशि कंपनी ने मुनाफा के रुप में कमाया या इसका बंटवारा हुआ, यह जांच का विषय है. पूरे मामले को लेकर एक आईजी रैंक के अधिकारी ने व्हिसिल ब्लॉअर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत वरीय अधिकारियों व सरकार को सूचित किया है. 

 

Lagatar Media ने जिन दस्तावेजों को देखा है, उसके मुताबिक झारखंड पुलिस ने कपरी कॉप नाम की कंपनी से 10 एनवीडी की खरीद की. कपरी कॉप ने प्रति एनवीडी 14.98 लाख रुपये की दर से 10 एनवीडी की सप्लाई किया. इसके बदले झारखंड पुलिस ने कंपनी को करीब 1.50 करोड़ रुपये का भुगतान किया. दस्तावेज यह भी बताते हैं कि मार्च 2024 में बिना टेंडर के ही एनवीडी की खरीद के लिए पुलिस मुख्यालय के स्तर से आदेश जारी किया गया. संचिका पर यह पता चलता है कि एक एडीजी रैंक के अधिकारी ने बिना टेंडर एनवीडी खरीदने के लिए दवाब बनाया. 

 

जानकारी के मुताबिक एनवीडी खरीद के लिए टेंडर जारी होने के बाद कुल छह कंपनियों ने टेंडर में हिस्सा लिया. तीन कंपनी कपरी कॉप, एसएस इलेक्ट्रोनिक्स और अरिहंत ट्रेडिंग तकनीकि रुप से सफल हुए. कपरी कॉप एन-वन रहा. कपरी कॉप ने एक एनवीडी की कीमत 14.98 लाख रुपया लगाया था, जबकि अरिहंत ट्रेडिंग ने 16.80 लाख  और एसएस इलेक्ट्रॉनिक्स ने 17.20 लाख.

 

कपरी कॉप कंपनी के अनुभव व कंपनी को पूर्व में मिले क्रयादेश से जुड़े दस्तावेजों से यह पता चलता है कि कंपनी ने वर्ष 2021 में ताक टेक्नोलॉजी नामक कंपनी के क्रयादेश को संलग्न किया गया था. यानी कपरी कॉप के पास कोई अनुभव नहीं था. उसने ताक टेक्नोलॉजी नाम की कंपनी को मिले क्रयादेश को ही अपने अनुभव के रुप में बताया. तकनीकि समिति ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया. यह जांच का विषय है कि कपरी कॉप के पास अनुभव नहीं होते हुए भी तकनीकि समिति ने कैसे किसी दूसरी कंपनी के अनुभव को उसका अनुभव मानते हुए उसे सफल घोषित किया. या यह काम तकनीकि कमेटी को अंधेरे में रख कर कराया गया.

 

ताक टेक्नोलॉजी के बारे में जो जानकारी है, उसने वर्ष 2021 में यूपी जेल प्रशासन को एक एनवीडी बेचा था. कंपनी ने यूपी जेल प्रशासन को सिर्फ 4 लाख रुपये में एनवीडी उपलब्ध कराया था. जबकि झारखंड पुलिस ने उसी एनवीडी को 14.98 लाख रूपये में खरीदा. 

 

एक तथ्य यह भी है कि कपरी कॉप से एनवीडी खरीदे जाने से पहले भी कीमत को लेकर विवाद हुआ था. एटीएस के लिए एक एनवीडी खरीदा जा रहा था, जिसमें कपरी कॉप ने प्रति एनवीडी 10.77 लाख रुपया कोट किया था. लेकिन अधिकारियों के यह जब पता चला था कि इसकी कीमत मात्र 4.21 लाख है, तब उस टेंडर को रद्द कर दिया गया था. लेकिन इस बात की जानकारी कमेटी को दी ही नहीं गई. या जानकारी रहते हुए भी कमेटी ने इस पर गौर नहीं किया यह जांच का विषय है.

 

10 एनवीडी की खरीद के सिलिसले में एल-टू कंपनी अरिहंत ट्रेडिंग के अनुभव के बारे में बताया जाता है कि इस कंपनी ने जो अनुभव दिया था, वह कपरी कॉप द्वारा यूपी जेल प्रशासन को दिया गया अनुभव पत्र ही था. अरिहंत ट्रेडिंग कंपनी ने कागजात में छेड़छाड़ करने अपने अनुभव में उस अनुभव पत्र को संलग्न कर दिया था. यानी एल-टू कंपनी ने भी ताक टेक्नोलॉजी को मिले क्रयादेश में ही छेड़छाड़ कर अपने अनुभव के रुप में पेश किया.

 

टेंडर में एल-थ्री के रुप में सफल कंपनी एसएस इलेक्ट्रॉनिक्स ने जो ओईएम दिया है, वह डब्लू डब्लू डेफसिस नामक कंपनी ने जारी किया है. ओईएम पर किसी अकुर जैन का हस्ताक्षर है. एसएस इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए जारी ओईएम में कहीं भी एनवीडी सप्लाई का अनुभव के बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया है. इसके बाद भी यह कंपनी एल-थ्री के रुप में सफल हुई.

 

इसी तरह 10 एनवीडी के जारी टेंडर में जो तीन कंपनियां एल-वन, एल-टू और एल-थ्री के रुप में सफल हुई, उनमें से किसी के पास भी एनवीडी की सप्लाई का अनुभव ही नहीं था.  इसके बावजूद तकनीकि समिति ने सभी को सफल पाया. इसकी दो वजहें हो सकती है- या तो समिति के सदस्यों ने आंख बंद करके फैसला लिया या फिर तकनीकि समिति से तथ्यों को छिपाया गया. यह जांच के बाद ही पता चलेगा.