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मणिपुर वासियों से सेना की अपील, विरोध नहीं, शांति बहाल करने में करें मदद

Imphal : मणिपुर के इंफाल ईस्ट के इथम गांव में शनिवार 24 जून को सेना ने प्रतिबंधित उग्रवादी समूह कांगलेई योल कान-ना लुप (केवाईकेएल) के 12 से अधिक उग्रवादियों को घेरा था. लेकिन इस कार्रवाई के बाद सेना और महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ के बीच गतिरोध हो गया था. नतीजतन सेना को इन 12 आतंकवादियों को जाने देने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इस तरह मणिपुर के लोग सेना के अभियान में लगातार अवरोध पैदा कर रहे हैं. ऐसे में सेना ने लोगों से मणिपुर में शांति बहाल करने में उनकी मदद करने का आग्रह किया है. (पढ़ें, पाकिस्तान">https://lagatar.in/pakistan-summons-us-deputy-chief-of-mission-for-joint-statement-with-india-on-cross-border-terrorism/">पाकिस्तान

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सेना के ‘स्पीयर्स कोर’ ट्वीट कर मणिपुर की मदद करने में सहायता मांगी

सेना के ‘स्पीयर्स कोर’ ने सोमवार देर रात ट्विटर पर ऐसी ही कुछ घटनाओं का एक वीडियो साझा किया. कहा कि इस तरह का ‘‘अनुचित हस्तक्षेप’’ सुरक्षा बलों को समय पर जरूरी कार्रवाई करने से रोकता है. हिंसा प्रभावित इस पूर्वोत्तर राज्य में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियान में बाधा डाल रही हैं. इस तरह का अनुचित हस्तक्षेप गंभीर परिस्थितियों के दौरान जान-माल का नुकसान रोकने के लिए सुरक्षा बलों को समय पर जरूरी कार्रवाई करने से रोकता है. कहा कि भारतीय सेना सभी वर्गों से शांति बहाल करने के हमारे प्रयासों का समर्थन करने की अपील करती है. मणिपुर की मदद करने में हमारी सहायता करें. इसे भी पढ़ें : ICC">https://lagatar.in/icc-world-cup-2023-schedule-released-indo-pak-match-to-be-held-on-october-15/">ICC

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केवाईकेएल एक मेइती उग्रवादी समूह है

अधिकारियों के अनुसार, केवाईकेएल एक मेइती उग्रवादी समूह है, जो 2015 में छह डोगरा इकाई पर घात लगाकर किये गये हमले सहित कई हमलों में शामिल रहा है. गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं. मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है. इसे भी पढ़ें : मॉडल">https://lagatar.in/model-love-jihad-case-court-refuses-to-grant-bail-to-tanveer-akhtar/">मॉडल

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