सर्दियों में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गश्त करना मुश्किल
सर्दियों के महीनों में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गश्त करना मुश्किल हो जाता है. सेना पहले भी ऐसी घटनाओं में अपने सैनिकों को खो चुकी है. मई 2020 में सिक्किम में हिमस्खलन की चपेट में आने से सेना के दो जवानों की की मौत हो गई थी.अक्टूबर, 2021 में हिमस्खलन में नौसेना के पांच जवानों की मौत
पिछले साल अक्टूबर में उत्तराखंड में माउंट त्रिशूल पर हिमस्खलन में नौसेना के पांच जवान फंस गये थे, जहां वे एक अभियान के लिए गये थे. उनके शव बाद में बरामद किये गये. फरवरी 2020 में सरकार ने संसद को बताया कि 2019 में सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन और हिमस्खलन के कारण सेना के छह जवानों की मौत हो गई थी, जबकि अन्य जगहों पर इसी तरह की घटनाओं में 11 अन्य मारे गये थे.सरकार ने कहा- जवानों को दी जाती है पूरी ट्रेनिंग
सरकार ने बताया था कि "उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शामिल सभी सशस्त्र बलों के कर्मियों को पर्वतीय शिल्प, बर्फ शिल्प और पहाड़ों में हिमाच्छादित इलाकों में जीवित रहने और हिमस्खलन जैसी किसी भी घटना से निपटने के लिए पूरी ट्रेनिंग दी जाती है. साथ ही उन्हें इमरजेंसी की स्थिति में खुद को संभालने के लिए भी सिखाया जाता है." इसे भी पढ़ें – सरकार">https://lagatar.in/government-took-credit-of-your-door-jmm-eyes-of-congressmen-opened-to-see-vote-bank-going/">सरकारआपके द्वार का क्रेडिट ले गया JMM, वोट बैंक जाता देख खुली कांग्रेसियों की आंख, अब मंत्रियों को मिला टास्क [wpse_comments_template]

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