Ranchi: वन विभाग की ओर से आज वर्ल्ड नेचर कंजर्वेशन डे के अवसर पर डोरंडा में एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में शहर के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों ने भाग लिया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अशोक कुमार थे, जबकि वक्ता के रूप में राजेश पिल्लई, डॉ. सुनील कुमार, अवनीश कुमार चौधरी, डॉ. मयंक मुरारी और अमरकांत मिश्रा मौजूद रहे.
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और अतिथियों को सम्मानित कर की गई. इसके पश्चात सभी वक्ताओं ने पर्यावरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विद्यार्थियों को जानकारी दी और जागरूक किया.
राजेश पिल्लई ने कार्यक्रम की शुरुआत छात्रों के साथ मिलकर प्रकृति की प्रार्थना से की. उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, जल की महत्ता, जलवायु परिवर्तन और वर्ल्ड नेचर कंजर्वेशन डे के महत्व पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के बिना मानव जीवन संभव नहीं है और हमारे अस्तित्व की नींव प्रकृति ही है.
डॉ. सुनील कुमार ने पर्यावरणीय समस्याओं की पहचान और उनके समाधान की दिशा में सोचने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने समुद्री प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि भारत के समुद्रों में मछली पकड़ने वाले जाल में 50 किलो में से 30 किलो प्लास्टिक निकलता है. इतना प्लास्टिक फेंका जा चुका है कि समुद्र में जायर्स यानी प्लास्टिक के द्वीप बन चुके हैं.
अवनीश कुमार चौधरी ने टाइगर प्रोटेक्शन पर अपने विचार साझा करते हुए बताया कि भारत में टाइगर कंजर्वेशन के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है. एक समय में बाघों की संख्या 40,000 से घटकर 1,400 रह गई थी, लेकिन अब यह संख्या बढ़ रही है. टाइगर संरक्षण इसलिए भी जरूरी है ताकि हमारी फूड चेन संतुलित बनी रहे.
डॉ. मयंक मुरारी ने प्राकृतिक तत्वों और जैव विविधता की बात करते हुए कहा हम इंसान पांच तत्वों से बने हैं और इन्हीं की देखभाल करना हमारा कर्तव्य है. यदि हमने प्रकृति की उपेक्षा की तो हमारा अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है. हमें उपभोग की संस्कृति से हटकर आवश्यकता की संस्कृति को अपनाना होगा.कार्यशाला का समापन प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें छात्र-छात्राओं ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे और संवाद में हिस्सा लिया.
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