बाबूलाल मरांडी ने ही 2016 में राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग का उठाया था मामला
बीजेपी के दूसरे नेता भी रघुवर के बचाव में अबतक नहीं आये सामने
Ranchi: 2016 के राज्यसभा चुनाव में हार्स ट्रेडिंग के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की मुश्किल बढ़ती दिख रही है. स्थिति ऐसी हो गयी है कि उनके बचाव में बीजेपी कुछ खुलकर कह नहीं पा रही है. क्योंकि रघुवर दास को मुश्किल में डालने वाले उन्हीं की पार्टी के बड़े नेता हैं. बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने ही 2016 (जब जेवीएम सुप्रीमो थे) में मामले का खुलासा करते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी, लेकिन अब वे फिर से वापस बीजेपी में आ गये हैं. अब मामले में पीसी एक्ट की धाराएं जोड़ने पर सरकार की सहमति मिलने के बाद बाबूलाल कह रहे हैं कि अभी इस मामले में वे ज्यादा कुछ नहीं बोल पायेंगे. कौन सी धाराएं जोड़ी जा रही है और क्या सही, क्या गलत है सबकुछ स्टडी करने के बाद ही कुछ कह पायेंगे.
क्या है मामला
2016 में राज्यसभा चुनाव के बाद तत्कालीन जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने एक ऑडियो टेप जारी किया था. इस कथित टेप में एडीजी अनुराग गुप्ता, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी और उनके पति योगेंद्र साव के बीच बातचीत की बात सामने आई थी. मामला सामने आने के बाद पूरे मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की गई थी. प्रथम दृष्टया जांच के बाद आयोग ने एफआईआर का आदेश दिया था. गृह विभाग के अवर सचिव अवधेश ठाकुर के बयान पर सरकार ने तब मामला दर्ज करवाया था. मामले में फरवरी महीने में अनुराग गुप्ता के निलंबन के बाद राज्य सरकार ने विभागीय कार्रवाई शुरू की थी.
अब क्या होगा
रघुवर दास, अनुराग गुप्ता और अजय कुमार के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 7 और 13 (1) (डी) और 13 (2) व आईपीसी 120 (बी) के तहत कार्रवाई की जाएगी. राज्यसभा चुनाव 2016 में हार्स ट्रेडिंग मामले में रांची के जगन्नाथपुर थाने में दर्ज प्राथमिकी में प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (पीसी एक्ट) यानी भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराएं भी जुड़ेंगी. जानकारों के अनुसार पीसी एक्ट किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं लगेगा, बल्कि उक्त केस में जुड़ेगा. अब पीसी एक्ट लगने के बाद जांच में अगर कोई दोषी मिलेगा तब ही उसके खिलाफ पीसी एक्ट में कार्रवाई होगी.