Baharagoda (Himangshu Karan) : बहरागोड़ा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर ईचड़ासोल परिसर में ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा शिक्षा का मूल उद्देश्य हैं चरित्र का निर्माण करना, असत्य से सत्य की ओर ले जाना, बंधन से मुक्ति की ओर जाना लेकिन आज की शिक्षा भौतिकता की ओर ले जा रही है. भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है और नैतिक शिक्षा से चरित्र बनता है. इसलिए वर्तमान के समय में प्रमाण भौतिक शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है. साथ ही विद्यार्थियों को मुल्यांकन, आचरण, अनुकरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा. वर्तमान के समाज में मूल्यों की कमी हर समस्या का मूल कारण हैं. परीक्षा के समय अपनी सोंच सकारात्मक रखें. समय का सदुपयोग करें.
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जीवन एक वृक्ष है, मानवीय सद्गुणों से संचालित होता है
उन्होंने बताया कि परोपकार, सेवाभाव, त्याग, उदारता, पवित्रता, सहनशीलता, नम्रता, धैर्यता, सत्यता, ईमानदारी आदि सद्गुण नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है. शिक्षा एक बीज है और जीवन एक वृक्ष है जब तक हमारे जीवन रूपी वृक्ष में गुण रूपी फल नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है. समाज अमूर्त होता है और प्रेम, सद्भावना, भातृत्व, नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से संचालित होता हैं. इस कार्यक्रम में बीके प्रकाश भाई, प्रधानाध्यापक वासुदेव प्रधान व अशोक नायेक, शिक्षक हरिहर माईति, सनत कुडू, पार्थ सारथी तथा विद्यालय के बच्चे उपस्थित थे.
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