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क्या कहते है बुद्धिजीवी मंच के संयोजक प्रभाकर कुजुर
आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के संयोजक प्रभाकर कुजुर का कहना है कि राज्य में संवैधानिक प्रावधानों को उल्लंघन किया जा रहा है. पांचवी अनुसूची अनुच्छेद 244,1 शीर्षक है(अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे उपबंध)जिसमें संविधान के 73वां संवैधानिक संशोधन के बाद भारत के संविधान में गांव के प्रशासन के लिए भाग 9 सामान्य पंचायत को शामिल किया गया है. जो संविधान के अनुच्छेद 243 से अनुच्छेद 243 तक हैं. जिसमें भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार सामान्य क्षेत्रों में प्रशासन की बात लिखी है. इसी भाग 9 में संविधान के अनुच्छेद 243 एम 1 में अनुसूचित क्षेत्रों पांचवीं अनुसूची अनुच्छेद 244,1 की बात लिखी गई हैं. भाग 9 में स्पष्ट किया गया है कि सामान्य पंचायत की कोई बात अनुसूचित क्षेत्रों पांचवीं अनुसूची अनुच्छेद 244,1में लागू नहीं होगी. इसे भी पढ़ें -जुगसलाई">https://lagatar.in/mo-imtiaz-of-jugsalai-gets-70000-rupees-lime-by-gujarat-firm/">जुगसलाईके मो इम्तियाज को गुजरात की फर्म ने 70 हजार का चूना लगाया [caption id="attachment_168472" align="aligncenter" width="600"]
alt="" width="600" height="400" /> आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के संयोजक प्रभाकर कुजुर[/caption]
वासुदेव बेसरा ने 1992 के बाद एक जनहित याचिका दायर किया था
इसी अनुच्छेद 243 एम,1को लेकर वासुदेव बेसरा ने 1992 के बाद पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर किया था.जिसका आदेश 23 दिसंबर 1995 को आया. जिसमें कहा गया कि पांचवीं अनुसूची अनुच्छेद 244,1में त्रिस्तरीय सामान्य पंचायत भाग 9 मुखिया चुनाव नहीं होगा. इसके बाद पूरे देश के पांचवीं अनुसूची अनुच्छेद 244,1 पर त्रिस्तरीय सामान्य पंचायत मुखिया चुनाव पर रोक लग गई. तब माननीय संसद ने संविधान के प्रावधानों के तहत संविधान के अनुच्छेद 243 एम,4 बी के तहत मिले शक्ति को एक विशेष कानून बनाया जिसका शीर्षक है पंचायतों के उपबंध. अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार अधिनियम 1996(The provisions of Panchayat schedule area act 1996) संविधान के अनुच्छेद 243 एम,4 बी में लिखा हैं. संविधान में किसी बात के होते हुए भी माननीय संसद विशेष कानून अपवादों और उपांट्रनो के तहत पंचायत का विस्तार करेगा. तब माननीय संसद ने एक कमिटी बनाई थी जिसको दिलीप सिंह भूरिया कमिटी कहा गया. उस कमिटी ने संविधान के छठी अनुसूचित पैटर्न वाला पंचायत को पांचवीं अनुसूची अनुच्छेद244,1में लागू किया. इसे भी पढ़ें -जामताड़ा">https://lagatar.in/jamtara-teacher-going-to-school-was-stabbed-by-criminals-condition-critical/">जामताड़ा: स्कूल जा रही शिक्षिका को अपराधियों ने मारी चाकू, हालत गंभीर
अनुसूची क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों को झारखंड में समाप्त करने का किया जा रहा प्रयास : प्रभाकर कुजुर
जिसका जिक्र पी पे सा कानून 1996 की धारा 4 ओ में किया गया है. इस कानून का उल्लंघन झारखण्ड राज्य बैठे संवैधानिक पदों में विधायिका कार्यपालिका कर रहे हैं. झारखण्ड गठन के समय से झारखण्ड पंचायती राज अधिनियम 2001एक सामान्य पंचायत मुखिया त्रिस्तरीय पंचायत हैं. जो झारखण्ड राज्य के सामान्य जिलों में लागू है, लेकिन दुर्भाग्य झारखण्ड राज्य सरकार के संविधान के पदों में बैठे लोग संविधान को ताक में रखकर इसे राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में भी लागू कर दिए हैं. यही कारण है कि झारखण्ड के अनुसूचित क्षेत्रों में अशांति,गरीबी,भुखमरी नक्सल पलायन भ्रष्टाचार खनिज संपदा जल-जंगल-जमीन का दोहन और अनुसूचित जनजातियों (आदिवासी)जमीन की गैर कानूनी तरीके से लूट हो रही है. ज्ञात हो कि आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने इस बात को जब झारखण्ड उच्च न्यायालय रांची में ले गया. तो झारखण्ड सरकार में पदों पर बैठे कार्यपालिका न्यायपालिका में गलत हलफनामा दाखिल कर झारखण्ड उच्च न्यायालय रांची को गुमराह करने का काम कर रहा हैं.जो झारखण्ड सरकार के तमाम दस्तावेजो से साफ साफ पता चलता है. अनुसूची क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों को समाप्त करने की कोशिश है. इसे भी पढ़ें -आदित्यपुर:">https://lagatar.in/adityapur-jamshedpur-water-colleagues-beat-plate-and-cordon-off-office-of-executive-engineer-of-drinking-water-department/">आदित्यपुर:जमशेदपुर की जल सहियाओं ने थाली पीटकर पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता का कार्यालय घेरा [wpse_comments_template]
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