New Delhi : असम में आज से एक से अधिक शादी (बहुविवाह) अपराध मानी जायेगी. असम सरकार ने आज गुरुवार को विधानसभा में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाला अहम बिल पास कर दिया.
यह कानून सभी समुदायों पर लागू होगा. हालांकि, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोग और छठी अनुसूची वाले क्षेत्र इस कानून के दायरे से बाहर रखे गये है. मुख्यमंत्री हिमंता विस्व सरमा ने कहा कि यह बिल किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है. इस बिल का उद्देश्य सभी समाजों में समानता और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
जान लें कि इस बिल के पारित होते ही असम में बहुविवाह आपराधिक कृत्य करार दिया जायेगा. दोषी को अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है. मुख्यमंत्री ने इस बिल को महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम करार देते हुए वादा किया कि अगर वह अगले कार्यकाल में फिर से मुख्यमंत्री बनते हैं तो राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करेंगे.
विधानसभा में बहस के दौरान सीएम सरमा ने कहा कि बहुविवाह सिर्फ मुस्लिम समाज में ही नहीं होते, हिंदू समाज में भी ऐसे मामले सामने आते है. उन्होंने कहा, यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होगा. कहा कि इसे इस्लाम-विरोधी बिल बताने वाली धारणाएं गलत हैं.
विपक्ष द्वारा संशोधन प्रस्ताव रखे जाने पर सीएम ने आग्रह किया कि वे इसे वापस लें, ताकि पूरा सदन एकमत होकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए मजबूत संदेश देश को दे सके. जान ले कि सीएम सरमा की अपील के बावजूद एआईयूडीएफ और सीपीआई(एम) ने अपने संशोधन प्रस्ताव वापस नहीं लिये.
इसके बाद जब वोटिंग हुई तो विपक्ष के प्रस्ताव ध्वनि मत से खारिज कर दिये गये. इसके अलावा मुख्यमंत्री हिमंता विस्व सरमा सदन में घोषणा की कि अगर वे आगामी विधानसभा चुनाव के बाद फिर मुख्यमंत्री बनते हैं तो नये कार्यकाल के पहले सत्र में ही यूसीसी बिल पेश कर उसे लागू करेंगे.
उन्होंने कहा कि बहुविवाह पर रोक यूसीसी की दिशा में एक मजबूत कदम है. उन्होंने कहा कि फरवरी, 2026 में वे लव-जिहाद पर भी कानून लायेंगे.
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