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निरसा क्षेत्र में  बंद रहे बैंक, कोलियरियों में कामकाज ठप

Nirsa : ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर औद्योगिक हड़ताल का असर निरसा में हर जगह देखने को मिला. सोमवार 28 मार्च को हड़ताल के पहले दिन कोलियरियों में कामकाज ठप रहा, बैंकों के दरवाजे बंद रहे और कर्मी नारेबाजी करते रहे, बीमाकर्मियों ने भी कामकाज ठप कर हडताल को पूर्ण समर्थन दिया. सुबह से ही हड़ताल समर्थक ट्रेड यूनियनों ने कोलियरियों, रेलवे साइडिंग, कोयला उत्पादन एवं डिस्पैच के मुख्य द्वार को बंद कर संगठन का झंडा लगा दिया. फलस्वरूप कोयले का उत्पादन एवं डिस्पैच प्रभावित हुआ है. हालांकि ज्यादातर कोलियरियों में मजदूरों ने सादे कागज पर हाजिरी तो बना ली, परंतु बत्ती घर एवं हाजिरी घर में बंद समर्थक यूनियनों की तालाबंदी के कारण काम पर जाने वाले मजदूरों को बत्ती नहीं मिली और वे लोग खदान में नहीं जा सके.

      रेलवे का रैक लगा, कोयला लदाई बंद

खुदिया फाटक सेंट्रल पूल स्थित ईसीएल के रेलवे साइडिंग में रेलवे का रैक तो लगा, परंतु कोयला लदाई का काम बंद रहा. सुबह से ही बंद समर्थक यूनियन के नेताओं ने रेलवे साइडिंग के मुख्य द्वार पर ताला लगा कर यूनियन का झंडा लगा दिया. यूनियन नेताओं ने दावा किया कि बंद शत प्रतिशत सफल है. भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध मजदूरों ने हाजिरी तो बना ली, परंतु वे खदान में नहीं जा सके.

    नहीं चलेगी केंद्र की तानाशाही : ट्रेड यूनियन

बंद समर्थक यूनियन नेताओं ने कहा कि केंद्र की हिटलरशाही नीतियों एवं मजदूरों, किसानों के हितों की लगातार अनदेखी के विरोध में मजदूर आंदोलनरत हैं. सार्वजनिक उपक्रमों को निजी पूंजीपतियों को सौंप कर सरकार मजदूरों को पुनः बंधुआ मजदूर बनाने पर आमादा है. 44 श्रम कानूनों में संशोधन कर मजदूरों के हक एवं अधिकार छीनने का काम किया जा रहा है. साथ ही कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए नए-नए श्रम कानून बनाए जा रहे हैं. मजदूरों ने अपना हक एवं अधिकार लड़ कर लिया है तथा लड़कर अपने अधिकार को बचाने का भी काम करेंगे.

 काम करना चाहते हैं मजदूर, प्रबंधन असमर्थ : भामसं

दूसरी ओर भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध यूनियन नेता मुन्ना सिंह, काजल मालाकार ने कहा कि मजदूर काम पर जाना चाहते हैं, परंतु प्रबंधन उन्हें सुविधा मुहैया नहीं करा रहा. यह हड़ताल देश हित में नहीं है. मजदूरों के नाम पर कुछ यूनियनों की दुकानदारी बंद हो रही है, इसलिए वे लोग इस तरह के प्रोपेगेंडा कर रहे हैं. कोरोना के कारण पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था खराब हुई है. वर्तमान समय में भारत को आगे ले जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा कोयला उत्पादन समय की मांग है. मजदूर काम करने को तैयार हैं परंतु प्रबंधन उन्हें उपकरण उपलब्ध नहीं करा रहा.

  चिरकुंडा में बीमा कर्मी हड़ताल पर, सरकार को कोसा

[caption id="attachment_276410" align="aligncenter" width="300"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/03/insurence-300x169.jpeg"

alt="" width="300" height="169" /> कार्यालय के बाहर नारेबाजी करते बीमाकर्मी[/caption] इधर इंश्योरेंस एम्प्लाइज एसोसिएशन के बैनर तले चिरकुंडा स्थित लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के दफ्तर के बाहर सभी बीमा कर्मी सरकार विरोधी नारे लगाते नजर आए. उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर भड़ास निकाली. एलआईसी चिरकुंडा शाखा के सचिव रामायण गुप्ता ने कहा कि कई निजी कंपनियां तथा बैंक ग्राहकों को चूना लगाकर चंपत हो गए. उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण आम आदमी एवं देश के सभी उपक्रमों में कर्मचारियों का हाल बुरा है. हम सभी सरकार की गलत नीतियों का विरोध कर रहे हैं. जबतक मांगें मानी नहीं जाती हैं, आंदोलन करेंगे. अभी दो दिनों की सांकेतिक हड़ताल है. आगे चरणबद्ध आंदोलन के लिए भी तैयार हैं. हड़ताल के दौरान स्टेट बैंक आफ इंडिया को छोड़ लगभग सभी सरकारी बैंक बंद नजर आए. कुल मिलाकर पहले दिन हड़ताल पूरी तरह सफल रही. यह भी पढ़ें : धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-justice-got-justice-for-electricians-wife-who-died-in-hurl-accident/">धनबाद

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