NewDelhi : रूस द्वारा पर यूक्रेन पर हमला किये जाने के विरोध में अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस से तेल का आयात बंद कर दिया था. जानकारों के अनुसार इसका मकसद रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन (Vladimir Putin) के होश को ठिकाने लगाना था. लेकिन रूस को एक तरह से भारत और चीन ने बचा लिया. जानकारी के अनुसार पिछले तीन माह में भारत और चीन ने 24 अरब डॉलर का तेल रूस से खरीदा.
इस कारण पश्चिमी देशों के मंसूबों पर पानी फिर गया. ताजा आंकड़ों के अनुसार इस दौरान चीन ने रूस से 18.9 अरब डॉलर का तेल, गैस और कोल खरीदा. यह इस साल पहले की तुलना में दोगुना है. भारत की बात करें तो मार्च से मई के दौरान रूस से 5.1 अरब डॉलर का तेल खरीदा गया, जो एक साल पहले की तुलना में पांच गुना है. रूस ने पिछले साल की तुलना में इस साल इन दोनों देशों से 13 अरब डॉलर अतिरिक्त कमाये
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चीन रूस से हर तरह की एनर्जी खरीद रहा है
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार इससे रूस को अमेरिका और यूरोपीय देशों को तेल की बिक्री से होने वाले नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली. जानकारों का कहना है कि चीन रूस से हर तरह की एनर्जी खरीद रहा है. पाइपलाइन और पैसिफिक पोर्ट्स के जरिए एक्सपोर्ट किये जाने वाली सारी एनर्जी रूस को जा रही है. खबर है कि भारत अटलांटिक से कार्गो के जरिए यूरोप को जाने वाले तेल को खरीद रहा है. आने वाले कई दिनों तक यह सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है. जान लें कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण दुनियाभर में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गयी है.
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भारत को रूस से तेल मंगाना महंगा पड़ता है
भारत को रूस से तेल मंगाना महंगा पड़ता है क्योंकि यह कार्गो के जरिए आता है. यही वजह है कि भारत परंपरागत रूप से रूस से काफी कम तेल मंगाता रहा है लेकिन यूक्रेन युद्ध ने इस स्थिति को बदल दिया है. यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत 139 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गयी जो 2008 के बाद सबसे अधिक है. मई में इराक के बाद रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर रहा. इस दौरान भारत ने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से भी ज्यादा तेल रूस से आयात किया
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