Bihar: बिहार में मॉनसून की बेरहमी ने एक बार फिर से लोगों को गहरी चोट दे दी है. 24 अगस्त से कई जिलों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने छोटी-बड़ी नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया है, जिससे सात जिलों में करीब आठ लाख लोग प्रभावित हो चुके हैं.
भागलपुर, खगड़िया, कटिहार, लखीसराय, भोजपुर, वैशाली और मधेपुरा जैसे जिलों में 600 से अधिक गांव जलमग्न हो गए हैं. जबकि सबसे ज्यादा तबाही कटिहार में हुई है, यहां 456 गांवों के 5.43 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं.
नेपाल में भारी बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण गंगा, कोसी और पुनपुन नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने सोमवार को आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति की गंभीरता बताई और राहत कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं.
इस बाढ़ ने न केवल घर-बार उजाड़ दिया है बल्कि फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है. कटिहार और मधेपुरा जैसे जिलों में धान की फसल पूरी तरह डूब गई है, जबकि भोजपुर और वैशाली में नदियों के किनारे बसे गांवों में लोग घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं.
गंगा नदी का जलस्तर पटना, भागलपुर और भोजपुर में खतरे के निशान को पार कर चुका है, जबकि कोसी नदी खगड़िया और कटिहार में उफान पर है. नेपाल से आने वाले पानी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है क्योंकि बिरपुर बैराज से 5.79 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है जो 56 वर्षों में सबसे ज्यादा है.
बिहार के जल संसाधन विभाग ने सभी जिलों में नदियों के तटबंधों पर नजर रखने के लिए इंजीनियरों की टीमें तैनात की हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर राहत कार्यों की समीक्षा की और जिलाधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है.
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