Satya Sharan Mishra
Ranchi: कोरोना संकट के इस दौर में जब अपने बेगाने हो गए हैं तब भी कुछ लोग रहनुमा बनकर मदद के लिए आगे आ रहे हैं. संकटकाल में झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता उन 14 सांसदों से भी मदद की उम्मीद रखती है जिन्हें चुनकर उन्होंने संसद भेजा है. लेकिन अफसोस हमारे चुने हुए अधिकांश जनप्रतिनिधि सिर्फ बातों के शेर साबित हो रहे हैं. कोरोना से जंग लड़ने और अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए यह लोग अपने लोकसभा क्षेत्र में प्रशासन को आर्थिक सहयोग नहीं दे रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर में केंद्रीय मंत्री सह खूंटी सांसद अर्जुन मुंडा और चतरा सांसद सुनील कुमार सिंह के अलावा किसी और सांसद ने आर्थिक सहयोग नहीं दिया है.
अर्जुन मुंडा ने अपने लोकसभा क्षेत्र में ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड बढ़ाने के लिए चार किस्त में एक करोड़ 5 लाख रुपए दिया है, जबकि चतरा सांसद ने 30 लाख रूपए दिया है.
सिर्फ बातों के शेर
लगभग सभी सांसदों ने पिछले साल कोरोना संकट के समय अपने सांसद फंड से 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक जिला प्रशासन या पीएम केयर्स फंड में दिया था. इस बार सभी सांसद फंड का रोना रो रहे हैं. सांसदों का कहना है कि इस बार फंड नहीं है इस वजह से पैसे नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन जनता के साथ 24 घंटे खड़े हैं. स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रशासन और सरकार के साथ मिलकर सक्रियता से काम कर रहे हैं.
सरकार के पैसे से ही मदद करेंगे
जनता का रहनुमा बनने का दावा करने वाले यह सांसद चुनाव के वक्त करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं, लेकिन जब जनता की मदद की बात आती है तब सरकार की तरफ देखते हैं. इन सांसदों की संपत्ति पर भी नजर डाल लीजिए. कोई अरबपति है तो कोई खरबपति है. 2-4 करोड़ रुपए संकटकाल में अपने वोटर्स की जान बचाने के लिए देना इनके लिए बड़ी बात नहीं है, लेकिन यह सिर्फ सांसद फंड के भरोसे बैठे हैं. यानी मदद करेंगे तो सिर्फ सरकार के पैसे से लोगों की जान बचाने के लिए अपना एक कौड़ी भी खर्च नहीं करेंगे.
देखिए कोरोना काल में क्या कर रहे हैं आप के चुने हुए 14 सांसद
निशिकांत दुबे बीजेपी सांसद गोड्डा
सांसद का कहना है कि पिछले साल एक करोड़ रुपए उन्होंने दिया था गोड्डा और देवघर में वह राशि खर्च नहीं हो पाई है. इसलिए इस बार पैसे नहीं दिए. वैसे भी सांसद फंड में राशि नहीं है.
गीता कोड़ा, कांग्रेस सांसद, सिंहभूम
सांसद ने कहा कि पिछले साल 50 लाख रुपए पीएम केयर्स फंड में दिया था. इस बार फंड में पैसे नहीं हैं, इस वजह से राशि नहीं दे पा रहे.
विजय हांसदा, जेएमएम सांसद, राजमहल
सांसद ने कहा गोड्डा, पाकुड़ और साहिबगंज जिला प्रशासन के पास पर्याप्त फंड है इस वजह से अपने फंड से राशि देने की जरूरत नहीं पड़ी. वैसे आरटीपीसीआर सेंटर के निर्माण में एक करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर चुका हूं.
विद्युत वरण महतो, बीजेपी सांसद, जमशेदपुर
सांसद ने कहा पिछली बार 1 करोड़ रुपए दिए थे. इस बार फंड नहीं है.
चंद्र प्रकाश चौधरी, आजसू सांसद, गिरिडीह
सांसद ने पिछली बार 75 लाख रुपए दिया था. इस बार सांसद महीने भर से अपने अपने लोकसभा क्षेत्र गिरिडीह में नहीं देखे गए. कई दिनों से वह रामगढ़ में हैं.
संजय सेठ, बीजेपी सांसद, रांची
सांसद कोरोना काल में सक्रिय हैं. उन्होंने अपनी ओर से 237 गरीब परिवारों तक भोजन पहुंचाने की व्यवस्था की है. स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सीसीएल और बीसीसीएल से राज्य सरकार को मदद भी दिलवाई हैं.
पी एन सिंह, बीजेपी सांसद, धनबाद
संकट के समय जनता से दूर हैं. मदद के लिए इस बार राशि नहीं दी है. फोन भी नहीं उठाते.
अन्नपूर्णा देवी, बीजेपी सांसद, कोडरमा
मधुपुर उपचुनाव से लौटने के बाद सांसद कोरोना पॉजिटिव हो गई. अभी अस्वस्थ हैं.
सुदर्शन भगत, बीजेपी सांसद, लोहरदगा
सांसद कोरोना संकट के समय एक्टिव नहीं हैं. फील्ड में नहीं दिख रहे. संकट से निपटने के लिए इस बार राशि भी नहीं दी.
बीडी राम, बीजेपी सांसद, पलामू
सांसद का दोनों मोबाइल बंद है. किसी एक्टिविटी की जानकारी नहीं.
जयंत सिन्हा, बीजेपी सांसद, हजारीबाग
सांसद हजारीबाग और रामगढ़ इलाके में सक्रिय हैं. ऑक्सीजन की व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन के साथ मिलकर युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं.
सुनील सोरेन, बीजेपी सांसद, दुमका
सांसद ने पिछले साल एक करोड़ रुपए सांसद फंड से दिया था. इस बार सांसद सक्रिय नहीं हैं.