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BIRSA 101: भारत की पहली स्वदेशी CRISPR जीन थेरेपी लॉन्च

  • सिकल सेल रोग उन्मूलन की दिशा में ऐतिहासिक कदम

New Delhi : भारत ने आज सिकल सेल रोग के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की. विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने देश की पहली स्वदेशी CRISPR आधारित जीन थेरेपी BIRSA 101 लॉन्च की. 

 

यह थेरेपी विशेष रूप से उन जनजातीय समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां सिकल सेल रोग का प्रभाव सबसे अधिक देखा जाता है. थेरेपी का नाम भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में रखा गया है, जिनकी 150वीं जयंती हाल ही में मनाई गई.

 

कार्यक्रम में मंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि भारत को सिकल सेल रोग मुक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में निर्णायक शुरुआत है. उन्होंने बताया कि CSIR-IGIB द्वारा विकसित यह थेरेपी वैश्विक स्तर पर उपलब्ध 20 से 25 करोड़ रुपये मूल्य वाली जीन थेरेपी के मुकाबले अत्यंत कम लागत में देश में ही उपलब्ध कराई जा सकेगी. इससे भारत उन्नत जीनोमिक चिकित्सा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है.

 

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि CRISPR आधारित यह तकनीक एक सटीक जेनेटिक सर्जरी की तरह काम करती है, जो न केवल सिकल सेल रोग का उपचार कर सकती है, बल्कि अन्य कई आनुवांशिक रोगों के लिए भी उम्मीद जगाती है. उन्होंने वैज्ञानिक संस्थानों को आग्रह किया कि ऐसे वैज्ञानिक नवाचारों को सरल भाषा और प्रभावी माध्यमों के जरिए जनता तक पहुंचाया जाए.

 

इस अवसर पर CSIR की महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी, CSIR-IGIB के निदेशक डॉ सौविक मैती, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ उमेश शालिग्राम सहित कई वैज्ञानिक और शोधकर्ता उपस्थित थे.

 

कार्यक्रम के दौरान CSIR-IGIB और सीरम इंस्टीट्यूट के बीच तकनीकी हस्तांतरण समझौता भी किया गया, जिसके तहत IGIB की CRISPR तकनीक को बड़े स्तर पर उत्पादन योग्य और सुलभ थेरेपी में बदला जाएगा.

 

डॉ उमेश शालिग्राम ने कहा कि दुनिया में जीन थेरेपी की लागत तीन मिलियन डॉलर तक होती है, जो अधिकांश लोगों की पहुंच से बाहर है. उन्होंने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट का उद्देश्य भारत में विकसित इस नवाचार को सबसे गरीब लोगों तक पहुंचाना है. उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार और वैज्ञानिक संस्थानों के सहयोग से भारत 2047 तक सिकल सेल रोग मुक्त राष्ट्र बनने का लक्ष्य हासिल करेगा.

 

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अब केवल वैश्विक तकनीक अपनाने वाला देश नहीं रहा, बल्कि नई तकनीकों का निर्माण करने वाले देशों की पंक्ति में मजबूती से खड़ा है. उन्होंने कहा कि जीन थेरेपी के क्षेत्र में यह कदम भारत को वैश्विक स्वास्थ्य नवाचार में नई पहचान दिलाएगा.

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