- जेपी नड्डा की कार्यसमिति बताती है झारखंड में बीजेपी के पास नेताओं का भारी टोटा
- गडकरी, राजनाथ और अमित शाह की भी कार्यसमिति में झारखंड से सिर्फ एक नेता को मिली थी जगह
Ranchi: अक्सर सवाल उठता है कि झारखंड में बीजेपी इम्पोर्टेड नेताओं से चल रही है. पार्टी के पास नेताओं की भारी कमी है. यह बात खुद बीजेपी ही साबित करती है. जब भी बीजेपी केंद्रीय कार्यसमिति की घोषणा होती है, उसमें यूपी, बिहार, एमपी, महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों के आधा दर्जन से ज्यादा नेताओं को जगह मिलती है, लेकिन झारखंड से रघुवर दास को छोड़कर दूसरे किसी नेता को कार्यसमिति में जगह नहीं मिली है. 2010 में जब नितिन गडकरी राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब सिर्फ रघुवर को टीम में जगह मिली थी. वे स्थायी आमंत्रित सदस्य बने थे. इसके बाद 2013 में राजनाथ सिंह ने अपनी कार्यसमिति में झारखंड को पूरी तरह दरकिनार कर दिया. फिर 2014 में अमित शाह ने अपनी टीम में सिर्फ रघुवर को जगह दी और उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया. इसके बाद 2020 और 07 अक्टूबर 2021 को घोषित अपनी टीम में जेपी नड्डा ने भी रघुवर को अपनी टीम में उपाध्यक्ष बनाया.
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रघुवर पर हर बार केंद्रीय नेतृत्व मेहरबान
हालांकि जेपी नड्डा ने दूसरे राष्ट्रीय अध्यक्षों के मुकाबले अपनी पहली और दूसरी बार की टीम में झारखंड के नेताओं पर मेहरबानी की है. 6 नेताओं को अपनी टीम में रखा है, लेकिन असल में केंद्रीय संगठन में पदाधिकारी का पद सिर्फ रघुवर दास और समीर उरांव को मिला है. रघुवर पिछली बार की तरह इस बार भी उपाध्यक्ष बनाये गये, जबकि समीर उरांव एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं. पिछली बार अन्नपूर्णा देवी को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था. उनके केंद्र में मंत्री बनने के बाद झारखंड के नेताओं को उम्मीद थी कि उपाध्यक्ष का पद झारखंड के ही किसी नेता को मिलेगा, लेकिन इस उम्मीद पर पानी फिर गया.
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राजनाथ की टीम में लुईस बनी थीं सचिव
2010 में जब नितिन गडकरी ने अपनी टीम घोषित की थी, तब राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 121 सदस्य थे, 13 उपाध्यक्ष, 10 महासचिव और 15 सचिव थे, लेकिन इसमें झारखंड का एक भी बीजेपी नेता नहीं था. सिर्फ रघुवर को स्थायी आमंत्रित सदस्य में जगह मिली थी. फिर 2013 में राजनाथ सिंह ने अपनी टीम में 10 राष्ट्रीय महासचिव, 13 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और 15 सचिव की घोषणा की. इसमें सिर्फ झारखंड से लुईस मरांडी को सचिव पद पर जगह मिली. 2014 में अमित शाह ने अपनी टीम की घोषणा की. इसमें 11 उपाध्यक्ष, 8 महासचिव, 10 प्रवक्ता और 14 सचिव थे. इसमें से उपाध्यक्ष सिर्फ एक पद झारखंड को मिला.
25 विधायकों में से एक भी केंद्रीय कार्यसमिति में नहीं
झारखंड के बीजेपी नेता सिर्फ रांची तक के शेर हैं. दिल्ली में उनकी चलती नहीं है. हालांकि कई बीजेपी नेता आये दिन दिल्ली दौड़ लगाते हैं. खबरें आती है कि केंद्रीय नेताओं पर उनका अच्छा प्रभाव है, लेकिन जब केंद्रीय कार्यसमिति की घोषणा होती है, तब नेताजी का नाम कहीं नहीं होता. फिलहाल झारखंड में बीजेपी के एक से बढ़कर एक नेता हैं. 16 और 25 विधायक हैं. 5 सांसद केंद्रीय कार्यसमिति में एडजस्ट किये गये हैं. बाबूलाल मरांडी भी बीजेपी विधायक दल के नाते कार्यसमिति की लिस्ट में शामिल हैं, लेकिन बाकी के 24 विधायकों में से किसी भी विधायक को केंद्रीय नेतृत्व ने कार्यसमिति में जिम्मेवारी देने लायक नहीं समझा. सीपी सिंह, नीलकंठ सिंह मुंडा, पीएन सिंह समेत दर्जनों वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन उनपर भी केंद्रीय नेतृत्व ने भरोसा नहीं जताया.
बीजेपी झारखंड से कभी नहीं बनाती केंद्रीय प्रवक्ता
झारखंड में बीजेपी के पास बोलने वाले दर्जनों नेता हैं, लेकिन अब तक किसी भी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने प्रवक्ताओं की टीम में झारखंड के नेता को जगह नहीं दी. जबकि नड्डा ने अपनी टीम में बिहार से 4 प्रवक्ता बनाए हैं. दिल्ली से 6, उत्तर प्रदेश से 4, महाराष्ट्र, नगालैंड और ओडिशा जैसे प्रदेशों के भी नेता प्रवक्ता बने हैं, लेकिन झारखंड का एक भी नहीं. वहीं 80 कार्यसमिति सदस्य भी बनाये गये हैं, लेकिन इसमें झारखंड को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है. दूसरे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कार्यसमिति में उचित स्थान मिला है, लेकिन झारखंड का एक भी नेता कार्यसमिति सदस्य में नहीं है. उत्तर प्रदेश से 11, दिल्ली से 6, गुजरात से 3, महाराष्ट्र से 5 और बिहार से 4 नेता कार्यसमिति में हैं.