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बजट 2022 : टैक्सपेयर्स को छूट की संभावना नहीं, आरबीआई के पूर्व गवर्नर का सुझाव, रोजगार पैदा करने पर होना चाहिए जोर

LagatarDesk :    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करने वाली हैं. आम आदमी कोरोना महामारी और बढ़ती महंगाई से त्रस्त है. इस बार के बजट से उन्हें कई उम्मीदे हैं. आम जनता को उम्मीद है कि सरकार आम बजट में उनके लिए राहत की घोषणा कर सकती है. हालांकि इस बार सरकार टैक्सपेयर्स को बजट में बड़ा झटका दे सकती है.

टैक्स में छूट मिलने की संभावना कम

आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि सरकार के खर्च लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में वो राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने पर फोकस कर सकती है. इस लिहाज से बजट 2022 में टैक्स में छूट मिलने की संभावना नहीं है. डी सुब्बाराव ने बजट से पहले सरकार को अपनी राय दी है. उन्होंने कहा कि सरकार को बजट में अर्थव्यवस्था में व्यापक असमानता को कम करने और रोजगार बढ़ाने पर जोर देना चाहिए. हालांकि शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर खर्च भी बढ़ाना चाहिए. सरकार की इन सारी जरूरत को देखते हुए टैक्स में कटौती की गुंजाइश ना के बराबर है. इसे भी पढ़े : चुनाव">https://lagatar.in/election-commissions-decree-ban-on-exit-polls-in-five-states-from-february-10-to-march-7-punishment-will-be-given-if-the-rules-are-broken/">चुनाव

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बजट के लिए  रोजगार होनी चाहिए थीम

पूर्व गवर्नर ने कहा कि वृद्धि को गति देना हर बजट का मकसद होता है. इस बजट का भी यह उद्देश्य होना चाहिए. हाल ही में आयी विश्व असमानता रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की व्यापक असमानता न केवल नैतिक रूप से गलत है. बल्कि राजनीतिक रूप से नुकसानदेह भी है. इससे हमारी दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाएं भी प्रभावित होंगी. ऐसे में हमें रोजगार आधारित वृद्धि की जरूरत है. अगर इस बजट के लिए कोई थीम है तो वह रोजगार होनी चाहिए. इसे भी पढ़े : काजोल">https://lagatar.in/kajols-corona-report-positive-shared-the-photo-on-insta-and-wrote-miss-you-nysa/">काजोल

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अमीरों और गरीबों के बीच आर्थिक खाई और हुई गहरी

सुब्बाराव ने कहा कि महामारी की वजह से अमीरों और गरीबों के बीच आर्थिक खाई को और गहरा किया है. इसने अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वाले निम्न आय वर्ग के लिए भारी संकट पैदा कर दिया है. वहीं  उच्च आय वर्ग न केवल अपनी कमाई बढ़ाने में सक्षम है बल्कि महामारी के दौरान उनकी बचत और संपत्ति में इजाफा हुआ है.

आयात शुल्क घटाने की जरूरत

पूर्व गवर्नर ने कहा कि अनुभवों से पता चलता है कि संरक्षणवादी दीवारों के साथ निर्यात को बढ़ावा देने की नीति शायद ही कभी प्रतिस्पर्धी होती है.  इसलिए आयात शुल्कों को घटाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस साल देश के कर संग्रह में आया उछाल अगले साल खत्म हो जायेगा. क्योंकि अनौपचारिक क्षेत्र फिर से पटरी पर आने लगेगा. इसे भी पढ़े : इजरायल">https://lagatar.in/ask-israel-for-an-advance-version-of-pegasus-p-chidambarams-jibe-at-pm-modis-statement-on-best-time-of-friendship-with-israel/">इजरायल

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निर्यात बढ़ाने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे

सुब्बाराव ने कहा कि मंदी के कारण नौकरियां कम हुई हैं. आर्थिक गतिविधियों के श्रम प्रधान अनौपचारिक क्षेत्र से पूंजी प्रधान औपचारिक क्षेत्र की ओर केंद्रित होने से भी रोजगार का संकट पैदा हुआ. रोजगार पैदा करने के लिए वृद्धि जरूरी है, लेकिन पर्याप्त नहीं है. इसके लिए निर्यात पर भी जोर देना होगा. इससे न सिर्फ विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा. बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. [wpse_comments_template]

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