Ranchi: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को पेयजल विभाग में हुई अवैध निकास पर सत्ता पक्ष ने सरकार को ही घेरा. प्रदीप यादव ने सरकार के जवाब में कहा कि खोदा पहाड़ और निकला चुहिया. प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रताप से कहा कि जोर से बोलकर पर्दा न डालें. लिपिक संतोष कुमार 15 साल से एक ही जगह पर पदस्थापित थे. संतोष ने अपने 27 पेज के स्पष्टीकरण में अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाए. वित्त विभाग को भी बताना चाहिए.
इसे भी पढ़ें –बजट सत्रः अडाणी को दी गई जमीन का मुद्दा गंभीर, चीफ सेक्रेट्री की अध्यक्षता में बनेगी कमेटी, होगी समीक्षा
वित्त विभाग के चार पदाधिकारियों को किया गया सस्पेंडः राधाकृष्ण किशोर
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के मामले पर जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है. अवैध निकासी मामले में कोई पदाधिकारी बख्से नहीं जाएंगे. संतोष कुमार पर दो करोड़ 71 लाख अवैध निकासी का केस दर्ज हुआ है. वित्त विभाग के अंतरविभागीय सात सदस्यीय कमेटी की अनुशंसा के आलोक में वित्त विभाग के चार पदाधिकारी मनोज सिन्हा, सुनील सिन्हा, मनोज सिन्हा और मीरा कुमारी गुप्ता को स्सपेंड कर दिया गया है.
पूर्व वित्त मंत्री ने सीआइडी और एसीबी जांच की अनुशंसा की थीः योगेंद्र
प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रताप ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने इस मामले में एसीबी और सीआइडी जांच की अनुशंसा की थी. इस पर रामेश्वर उरांव ने कहा कि मैं 28 साल पुलिस विभाग में रहा. बिहार में सीआइडी का चीफ रहा. सीआइडी का नाम भी है बदनाम भी. एक केस में फंसा दो, दूसरा धंसा दो और तीसरा दूध का दूध और पानी का पानी कर दो. निर्भर करता है कि इरादे क्या है और करना क्या चाहते हैं.
संतोष कुमार के खिलाफ दर्ज कराई गई है प्राथमिकीः योगेंद्र
प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रताप ने कहा कि संतोष कुमार, उच्च वर्गीय लिपिक को निलंबित करते हुए उसके विरुद्ध सदर थाना राँची में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. खाते को फ्रिज कराया जा चुका है, और नीलाम पत्र दायर किया जा चुका है.
वर्तमान में ‘श्री संतोष कुमार हिरासत में हैं. प्रभात कुमार सिंह, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता , चन्द्रशेखर, कार्यपालक अभियंता,राधेश्याम रवि, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता और संजय कुमार, निम्नवर्गीय लिपिक के खिलाफ विभागीय कार्यवाही संचालित की जा रही है.
मामले की विस्तृत जांच एसीबी से कराने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग (निगरानी) से अनुरोध किया गया है. महालेखाकार झारखंड को विशेष अंकेक्षण के लिए अनुरोध किया गया. जिससे वास्तविक राशि की गणना एवं संबंधित से वसूली की कार्रवाई की जा सके.
इसे भी पढ़ें –त्रिकूट रोपवे दुर्घटना में दामोदर रोपवेज एंड इंफ्रा लिमिटेड से 9.11 करोड़ की वसूली के लिए मनी सूट दायर