Ranchi: झारखंड की राजधानी रांची में HEC (हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन) की जमीन पर बसे 100 से अधिक घरों को प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के नाम पर ध्वस्त कर दिया गया. रविवार सुबह चलाए गए इस बुलडोजर अभियान में वे परिवार उजड़ गए, जो पिछले 30 से 40 वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे थे. इनमें ज़्यादातर असंगठित क्षेत्र के मजदूर, घरेलू कामगार, निर्माण श्रमिक और सफाई कर्मचारी शामिल हैं.
भाकपा (माले) नगर कमेटी रांची ने इस कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के लोगों को बेघर करना अमानवीय और असंवेदनशील है. पार्टी ने इसे गरीबों पर सीधा हमला करार दिया और कहा कि ये वही लोग हैं, जिनके श्रम पर शहर की रोजमर्रा की ज़िंदगी टिकी है.
भाकपा (माले) नगर कमेटी का कहना है कि रांची एक राजधानी होने के नाते रोजगार की तलाश में दूर-दराज़ के जिलों से लोग यहां आते हैं और वर्षों की मेहनत के बाद अपनी बस्ती बसाते हैं. ये लोग झारखंड सरकार को टैक्स भी देते हैं, फिर भी सरकार इनके अधिकारों की अनदेखी कर रही है.
भाकपा (माले) ने सरकार से निम्नलिखित मांगें की हैं
जिन लोगों के घर तोड़े गए हैं, उनके लिए तुरंत वैकल्पिक आवास की व्यवस्था की जाए.
उजड़े हुए परिवारों को मूलभूत सुविधाएं – सड़क, बिजली, पानी, और राशन को फिर से बहाल की जाए.
झुग्गी हटाने से पहले उचित पुनर्वास योजना बनाई जाए और जनता से संवाद स्थापित किया जाए.
पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो भाकपा (माले) आंदोलन की राह पर आगे बढ़ेगी.
वहीं इस कार्रवाई को लेकर भाजपा पर भी सवाल उठाए गए हैं. भाकपा (माले) का आरोप है कि भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी इस मुद्दे पर चुप रहे और अब इसे बांग्लादेशी घुसपैठियों से जोड़कर जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं. पार्टी ने पूछा कि जब भाजपा के ही विधानसभा क्षेत्र में लोग बेघर हो रहे थे, तब पार्टी क्यों चुप रही?
भाकपा (माले) ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ अतिक्रमण का मामला नहीं है, बल्कि गरीबों के हक़ और सम्मान का सवाल है और पार्टी इस लड़ाई को जमीन पर भी और राजनीतिक मंचों पर भी पूरी मजबूती से लड़ेगी.
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