Ranchi : प्रधान महालेखाकार इन्दु अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में झारखंड में लघु खनिजों के प्रबंधन को लेकर चौंकाने वाली अनियमितताएं उजागर की हैं. CAG की इस रिपोर्ट के अनुसार, बालू घाटों के संचालन, पत्थर खदानों के पट्टों की स्वीकृति और नीलामी में भारी गड़बड़ियां हुईं, जिससे राज्य को करोड़ो रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है.
रिपोर्ट बताती है कि कई खनन पट्टे वन भूमि पर अवैध तरीके से दिए गए, जबकि नीलामी प्रक्रिया बेहद धीमी रही और सिर्फ 3.77% ब्लॉकों की नीलामी हो सकी. राजस्व 2017-18 के 1,082 करोड़ से घटकर 2021-22 में 697 करोड़ रह गया.
CAG रिपोर्ट: साहिबगंज में अधिकार से बाहर जाकर पट्टा आवंटन, वन भूमि पर भी खनन पट्टे
CAG की नवीनतम रिपोर्ट में झारखंड के साहिबगंज, चतरा और पलामू जिलों में पट्टा आवंटन में गंभीर गड़बड़ियां उजागर हुई हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि साहिबगंज में उपायुक्त ने अपने अधिकार क्षेत्र से अधिक 4.74 हेक्टेयर भूमि पर पट्टा स्वीकृत कर दिया, जिसे ई-नीलामी के लिए जाना चाहिए था. चतरा और पलामू में तो वन भूमि को गैर-मजरुआ परती दिखाकर आठ पट्टे दे दिए गए. यह सीधे तौर पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन है.
बालू घाट संचालन में बड़ी चूक: 608 में से सिर्फ 21 घाट परिचालित, 70.92 करोड़ का नुकसान
झारखंड राज्य में बालू घाटों के संचालन को लेकर CAG की रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है. झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (JSMDC) को सौंपे गए 608 बालू घाटों में से केवल 21 का ही संचालन किया जा सका.
माइनिंग प्लान और पर्यावरणीय स्वीकृतियों में देरी के कारण 9,782 एकड़ क्षेत्र के 368 घाट वर्षों तक बंद पड़े रहे. इस निष्क्रियता के कारण सरकार को 70.92 करोड़ के संभावित राजस्व से हाथ धोना पड़ा. इसके अलावा 2019–22 के दौरान बालू से संबंधित स्वामित्व राशि में 82 लाख से 7.61 करोड़ तक की विसंगतियां भी पाई गईं.
33.21 लाख घनमीटर अतिरिक्त खनन पर 205 करोड़ का जुर्माना भी नहीं लगा
झारखंड में अवैध खनन पर प्रशासनिक ढिलाई एक बार फिर सामने आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चार जिलों के 26 पट्टाधारियों ने तय सीमा से 33.21 लाख घनमीटर अधिक लघु खनिजों का खनन किया, जिसका जुर्माना 205.21 करोड़ बनता था.
लेकिन जिला खनन कार्यालयों ने न तो जुर्माना लगाया और न ही वसूली की. इसी तरह 30 मामलों में 27.53 करोड़ तथा 15 मामलों में 2.23 करोड़ की वसूली नहीं की गई, जिससे करोड़ों का राजस्व का नुकसान हुआ.
पर्यावरणीय स्वीकृति में गड़बड़ी: गलत दस्तावेजों पर मिली मंजूरी, करोड़ों का अवैध खनन
CAG की रिपोर्ट में पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रिया में गंभीर खामियां उजागर की गई हैं. आवेदकों ने जाली प्रमाण-पत्र लगाकर बड़ी भूमि को छोटे श्रेणी में दिखा दिया, जिससे उन्हें गलत वर्ग में पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई.
इन गलत मंजूरियों के आधार पर पंजीकृत पट्टाधारियों ने वर्ष 2022-23 और 2023-24 के बीच 6.35 लाख घनमीटर पत्थर का अवैध उत्खनन किया, जिसका मूल्य लगभग 19.88 करोड़ है. खदानो में सुरक्षा अवरोध, वृक्षारोपण, वायु-ध्वनि निगरानी जैसे पर्यावरणीय उपायों को भी अधिकांश खदानों में नजरअंदाज किया गया.
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