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चंदवा : दशकों बाद भी पूरी नहीं हो पाई महत्वाकांक्षी घघरी सिंचाई योजना

Rajeev Kumar Oraon Chandwa : चंदवा प्रखंड क्षेत्र में महत्वाकांत्री घघरी सिंचाई योजना शुरू की गई थी. साल 1975-76 में घघरी नदी से नहर बनाये जाने की शुरूआत हुई थी. सासंग, सिकनी, टोटा, बरवाडीह, हुचलु, छाता सेमर, घुटाम, रेंची होते हुए लातेहार प्रखंड क्षेत्र के जड़यांग और अन्य गांवों को घघरी सिंचाई योजना से जोड़ने का प्लान बनाया गया था. कभी इसके ठेकेदार पंचम सिंह हुआ करते थे. उस समय योजना की क्या प्राक्कलन राशि निश्चित हुई थी, ये कोई भी बता पाने में असमर्थ है. कयास लगाया जाता है कि इस सिंचाई योजना के तहत नहर लगभग दस किलोमीटर तक बनना था. इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि यह करोड़ों रुपए का रहा होगा. हुचलु गांव के ग्रामीण नईम अंसारी कहते हैं कि कागज पर तो यह योजना पूरी हो गई होगी पर यह धरातल पर पूरी नहीं हो पायी. यदि योजना पूरी होती तो दस ग्यारह गांवों के सैकड़ों हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती. क्षेत्र के लोगों का खेती की ओर रुझान बढ़ता. दुर्भाग्य रहा कि महत्वाकांक्षी घघरी सिंचाई योजना सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गई. इसे भी पढ़ें :झारखंड">https://lagatar.in/jharkhand-sports-department-will-give-cash-prize-to-178-players/">झारखंड

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झारखंड बनने के बाद भी सरकार ने नहीं दिया ध्यान

इस अधूरे नहर के बारे में बताया जाता है कि हरेक पांच साल के बाद नहर की मरम्मती के नाम पर काम लगाया जाता है और मिट्टी छील कर पैसे की निकासी कर ली जाती है. इस तरह के कार्यों से किसानों को कोई लाभ नहीं हो पाता है. किसान कहते हैं कि नहर सही तरीके से बना होता तो सभी सीजन में हमलोग खेती का काम अच्छे तरीके से करते. सिंचाई योजना पर जब भी काम की शुरुआत होती है बस खानापूर्ति की जाती है. योजना की शुरुआत हुए लगभग पांच दशक बीतने को हैं लेकिन मुकम्मल तौर पर नहर बन नहीं पाया. राज्य में कई पार्टियों की सरकारें आई और गई लेकिन किसी ने सुध नहीं ली. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/08/WhatsApp-Image-2023-08-18-at-15.47.53.jpg"

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योजना पूरी होने से हजारों हेक्टेयर जमीन में होती सिंचाई

बिहार का बटवारा हो जाने के बाद यह क्षेत्र झारखंड राज्य में आ गया. झारखंड राज्य के बने 22 वर्ष गुजर गए हैं महत्वाकांक्षी घघरी सिंचाई योजना पर नजर नहीं पड़ी और योजना आजतक अधर में अटकी हुई है. जब इस संबंध में जानकारी लेने के लिए संवाददाता ने जब सिंचाई विभाग के एसडीओ प्रदीप सिंह ने फोने पर संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. इसे भी पढ़ें :चाकुलिया">https://lagatar.in/chakulia-the-cause-of-a-major-accident-can-be-a-culvert-built-on-the-branch-canal/">चाकुलिया

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