Ahmedabad : गुजरात के चर्चित इशरत जहां एनकाउंटर केस में सीबीआई कोर्ट का फैसला बुधवार को आया. कोर्ट ने इशरत जहां को आतंकी मानते हुए क्राइम ब्रांच के दो पूर्व अधिकारियों गिरीश सिंघल, तरुण बारोट और मौजूदा एसआई अंजू चौधरी को बरी कर दिया. कोर्ट ने माना कि इशरत जहां, लश्कर-ए-तैयबा की आंतकी थी. इस खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता. इसलिए तीनों अधिकारियों को निर्दोष मानते हुए बरी किया जाता है.
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क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी निभाई
जान लें कि 2004 के बाद गुजरात सरकार ने आईपीएस जीएल सिंघल, रिटायर्ड डीएसपी तरुण बारोट और असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर अंजू चौधरी के खिलाफ इशरत जहां एनकाउंटर मामले में कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था. बुधवार को इसी मामले में दायर अर्जी पर सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने कहा, इस बात के सबूत हैं कि इशरत जहां आतंकी थी और क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी निभाई.
15 जून, 2004 को अहमदाबाद में कोतरपुर वाटरवर्क्स के पास पुलिस एनकाउंटर में इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद राम और जीशान जौहर मारे गये थे. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार सभी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे. इशरत जहां की मां समीमा कौसर और जावेद के पिता गोपीनाथ पिल्लई ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर मामले की CBI जांच की मांग की थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए SIT बनाई थी.
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पुलिस ने कहा था, नरेंद्र मोदी की हत्या की फिराक में थे चारों
इस एनकाउंटर को अहमदाबाद के डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच यूनिट के वंजारा लीड कर रहे थे. पुलिस का कहना था कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे. इस केस में सीबीआई ने 2013 में चार्जशीट दाखिल की थी और उसमें 7 पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था.
वंजारा समेत अन्य अधिकारियों के नाम चार्जशीट में शामिल थे
इन अफसरों में पीपी पांडे, वंजारा, एनके आमीन, जेजी परमार, जीएल सिंघल, तरुण बरोट शामिल थे. इन पुलिस अधिकारियों पर हत्या, मर्डर और सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया गया था, लेकिन 8 साल बाद सभी बरी हो गये हैं. बता दें कि बीते डेढ़ दशक से इशरत जहां एनकाउंटर केस काफी चर्चा में रहा है. राजनीतिक तौर पर भी यह मुद्दा काफी संवेदनशील रहा था.
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