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चांडिल : चिलगु पुनर्वास में नहीं हो सका जमीन विवाद का निपटारा, बैरंग लौटे एसएमपी के पदाधिकारी

Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल थाना क्षेत्र के सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना अंतर्गत चिलगु पुनर्वास कॉलोनी में जमीन विवाद का निष्पादन नहीं हो सका. चिलगु पुनर्वास स्थल के विस्थापितों द्वारा सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के अधिकारी और चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी को लिखित शिकायत किया था, जिसमें कहा गया था कि कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना (चिलगु पुनर्वास) की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है. विस्थापितों की शिकायत के बाद पिछले दिनों सुवर्णरेखा परियोजना के पदाधिकारियों ने जांच की थी और जांच रिपोर्ट अनुमंडल पदाधिकारी को भेजा था. उक्त जांच रिपोर्ट के आधार पर अनुमंडल पदाधिकारी ने गुरुवार को जमीन का सीमांकन कर विवाद सुलझाने का निर्देश दिया था. इसे भी पढ़ेंमणिपुर">https://lagatar.in/congress-will-protest-in-the-assembly-against-manipur-violence-alamgir/">मणिपुर

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कुछ लोगों ने बताया बंदोबस्ती जमीन

[caption id="attachment_712928" align="aligncenter" width="600"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/Chandil-Bandobasti-1.jpg"

alt="" width="600" height="400" /> जमीन का सीमांकन करते कर्मी.[/caption] अवैध कब्जा हटाने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा पुलिस बल के साथ दो मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्त की गई थी. वहीं, सुवर्णरेखा परियोजना के कई अधिकारी एवं अमीन को जिम्मेदारी दी गई थी. अनुमंडल पदाधिकारी के आदेशानुसार गुरुवार को मजिस्ट्रेट, चांडिल पुलिस व सुवर्णरेखा परियोजना के अमीन चिलगु पुनर्वास पहुंचे थे लेकिन अवैध कब्जा हटाने में असफल रहे. बताया जाता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के चिलगु पंचायत अध्यक्ष करण हांसदा समेत अन्य लोगों ने अवैध कब्जा हटाने का विरोध किया. झामुमो नेता करण हांसदा एवं अन्य लोगों का कहना है कि चिलगु पुनर्वास में जिस जमीन पर सुवर्णरेखा परियोजना दावा कर रही है, वह जमीन उनकी बंदोबस्ती जमीन है. विरोध के कारण सुवर्णरेखा परियोजना के अमीन एवं अन्य पदाधिकारी बैरंग लौट गए. इसे भी पढ़ेंचाईबासा">https://lagatar.in/chaibasa-students-of-sanskrit-department-of-kolhan-university-planted-saplings/">चाईबासा

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कार्यालय का घेराव करेंगे विस्थापित

चिलगु पुनर्वास के सामने जमीन विवाद कॉलोनी के विस्थापितों ने आक्रोश जताया है. विस्थापितों का कहना है कि एक तरफ परियोजना द्वारा उनकी रैयती जमीन को डैम निर्माण के लिए अधिग्रहण किया गया है और दूसरी तरफ विस्थापितों के लिए आवंटित पुनर्वास स्थल पर गैर विस्थापित अवैध कब्जा कर रह रहे हैं. लिखित शिकायत के बाद भी अवैध कब्जा हटाया नहीं जा रहा है. इसलिए अब चांडिल पुनर्वास कार्यालय और परियोजना के अपर निदेशक का कार्यालय घेराव करेंगे. बता दें कि सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना द्वारा इस साल चांडिल डैम का जलस्तर 183 मीटर तक रखने की तैयारी है. इस परिस्थिति में यदि डूब क्षेत्र के विस्थापित पुनर्वास स्थल में घर बनाकर रहने का प्रयास कर रहे तो उन्हें पुनर्वास स्थलों में जमीन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. [wpse_comments_template]

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