Chatra : टंडवा में कोयला ढुलाई में लगे करीब 1500 हाइवा मालिकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल पांचवें दिन भी जारी रही. हाइवा मालिकों ने टंडवा थाना प्रभारी पर अवैध वसूली करने का गंभीर आरोप लगाया है.
12 नवंबर से शुरू हुई हड़ताल के चलते कोयला ढुलाई पूरी तरह से ठप है, जिससे राज्य सरकार को रोजाना करीब एक करोड़ रुपये का राजस्व का नुकसान हो रहा है. इसके अलावा, इस गतिरोध का असर कोयला परियोजनाओं पर भी पड़ रहा है.
कुछ लोगों का कहना है कि टंडवा सिमरिया रोड के खधैया में प्रशासन द्वारा मौखिक नो इंट्री लगाने से भी कोल ट्रांसपोर्टर प्रशासन से क्षुब्ध हो गये हैं.
प्रत्येक हाइवा से पांच से दस हजार रुपये तक की अवैध वसूली का आरोप
हाइवा मालिकों ने आरोप लगाया है कि टंडवा थाना प्रभारी रात के समय गाड़ियों को रोकते हैं और उन पर खराब लाइट, अधिक लाइट लगाने, खराब तिरपाल और स्पीड मीटर खोलकर चलाने जैसे मनगढ़ंत आरोप लगाते हैं.
इन आरोपों के बदले में वे प्रत्येक हाइवा से 5,000 से 10,000 रुपये तक की अवैध वसूली करते हैं. हाइवा मालिकों का कहना है कि वे बेवजह केस और जुर्माने से क्षुब्ध होकर इस अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर हुए हैं.
मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा ज्ञापन
इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर रविवार को केरेडारी के चुंदरु धाम मैदान में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में सिमरिया, टंडवा, केरेडारी, कटकमसांडी और आम्रपाली हाइवा ओनर्स एसोसिएशन के सदस्य शामिल हुए. इस दौरान, टंडवा थाना प्रभारी के खिलाफ मुख्यमंत्री को सौंपे जाने वाले पत्र का मसौदा तैयार किया गया.
कोल परियोजनाओं पर असर
हाइवा मालिकों के हड़ताल पर जाने के कारण कोयला डिस्पैच पूरी तरह से ठप है. सोमवार को इस समस्या के संबंध में सरकार को पत्र लिखा जाएगा. हड़ताल पर गए इन हाइवा की संख्या लगभग 1500 है, जो रोजाना करीब 60,000 टन कोयले की ढुलाई करते हैं.
इनमें केरेडारी के चट्टी बारियातू कोल माइंस से 15 हजार टन, कटकमसांडी से 12 हजार टन, डकरा से 3 हजार टन, केडी माइंस पांडु से 6 हजार टन, टोरी से 5 हजार टन, आम्रपाली से 15 हजार टन, आरसीआर से 2 हजार टन और मगध से 1000 टन की कोयला ढुलाई शामिल है.
अगर जल्द हड़ताल खत्म नहीं हुई तो एनटीपीसी को कोयला संकट से जूझना पड़ सकता है.
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