Ranchi : जामताड़ा जिला परिषद में घमासान मचा हुआ है. अध्यक्ष राधा रानी सोरेन, परिषद में हुई गड़बड़ी के मामले में उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक निरंजन कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराना चाहती है. लेकिन पुलिस उनकी सुन नहीं रही है. परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी इस बात का रोना रो रहे हैं कि फाइलें उन्हें नजरअंदाज कर सीधे उप विकास आयुक्त को भेजी जा रही है. जिला अभियंता परिषद की सारी जानकारी कार्यपालक पदाधिकारी से लेने की बात कर रहे हैं. दूसरी तरफ उप विकास आयुक्त प्रोटोकॉल के खिलाफ काम करने के मामले में कार्यपालक पदाधिकारी से जवाब तलब कर रहे हैं.
जिला परिषद में घमासान मचने की वजह मकर संक्रांति के अवसर पर करमदाहा मेला की बंदोबस्ती है. बंदोबस्ती के लिए आयोजित नीलामी में 59.01 लाख रुपये की उच्चतम बोली लगी थी. यह बोली इलियास अंसारी नामक व्यक्ति ने लगायी थी. शर्तों के अनुसार, नीलामी की पूरी राशि का भुगतान के बाद ही उसे सैरात की बंदोबस्ती की जानी थी. लेकिन इलियास अंसारी ने 46.31 लाख का भुगतान किया था. जबकि 12.70 लाख रुपये उसने नहीं दिया. इसके बावजूद उसे सैरात की बंदोबस्ती कर दी गयी. उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने इलियास अंसारी द्वारा वर्क ऑर्डर पर पूरी राशि के भुगतान करने का उल्लेख किया.
इसके बाद DDC ने खुद ही सितंबर 2025 में कनीय अभियंता को इलियास अंसारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया. इसमें यह कहा गया कि बार बार पत्राचार किये जाने के बावजूद इलियास बकाया पैसा जमा नहीं कर रहा है. इस आदेश के बाद जिला परिषद अध्यक्ष ने बंदोबस्ती में हुई गड़बड़ी के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाना प्रभारी को आवेदन दिया. अध्यक्ष ने सितंबर 2025 में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाना प्रभारी को दिये गये आवेदन में उप विकाय आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी निरंजन कुमार, परिषद के कर्मचारी दीपक कुमार वर्मा और लेखापाल सह सहायक तकनीकी पदाधिकारी सुबोध चंद्र टुडू को नामजद अभियुक्त बनाया. लेकिन पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की.
इसके बाद नवंबर में जिला परिषद अघ्यक्ष ने एसपी को पत्र लिखकर थाना प्रभारी द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं करने की शिकायत की. लेकिन अध्यक्ष को प्राथमिकी दर्ज कराने में कामयाबी नहीं मिली. अध्यक्ष ने DDC की शिकायत DC से भी की. इसमें DDC पर आवश्यक प्रक्रिया पूरा किये बिना एक व्यक्ति को नियुक्त करने और जिला अभियंता के साथ मिलकर निजी लाभ के लिए जिला परिषद के स्तर से निष्पादित किये जाने वाले कार्यों को अपने ही स्तर से निष्पादित करने का आरोप लगाया.
जनवरी 2025 में हुई समन्वय समिति की बैठक में जिला अभियंता ने यह कहा कि योजनाओं की विस्तृत जानकारी परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से ली जाये. क्योंकि इससे संबंधित सारी जानकारी उन्हीं के पास रहती है. दूसरी तरह कार्यपालक पदाधिकारी ने यह कहा कि उनके पास कोई जानकारी नहीं है. वह पंचायत राज पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित है. 13 दिसंबर 2023 को उपायुक्त के आदेश पर उन्हें जिला परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी की जिम्मेवारी भी दी गयी. मार्च 2024 तक उनके पास जिला परिषद के कर्मचारियों द्वारा कुछ फाइलें भेजी जाती थी. इसमें वेतन भत्ता, आकस्मिक कार्य, वाहन आदि की फाइलें शामिल थीं.
जब योजनाओं से संबंधित फाइलों के मामले में जानकारी मांगी गयी. उस दिन से सारी फाइलें सीधे उप विकास आयुक्त को भेजी जाने लगी. समन्वय समिति की बैठक में फाइल नहीं भेजने के मामले को DDC ने प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना. इसलिए उन्होंने पंचायत राज पदाधिकारी सह जिला परिषद कार्यपालक पदाधिकारी से जवाब तलब किया. इसमें उन्होंने कहा कि बैठक में वरीय अधिकारियों की शिकायत प्रोटोकॉल का उल्लंघन है. दूसरी बात यह कि परिषद के किस व्यक्ति से कौन सा काम लेना है यह DDC का विशेष अधिकार है.
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