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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : भूपेश बघेल और उनके बेटे के ठिकानों पर छापेमारी, बोले-साहब ने ED भेज दी

Lagatar Desk :    छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले की जांच तेज होती जा रही है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज शुक्रवार सुबह रायपुर में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. ईडी की कार्रवाई की जानकारी खुद भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर दी.

 

बघेल का आरोप : पर्यावरण से जुड़े गंभीर मुद्दे पर ध्यान भटकाने के लिए ईडी का इस्तेमाल

बघेल ने ईडी छापेमारी को राजनीतिक साजिश करार देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने एक्स पर लिखा कि ईडी आ गई. आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है. अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा आज उठना था. भिलाई निवास में साहेब ने ईडी भेज दी है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पर्यावरण से जुड़े गंभीर मुद्दे पर ध्यान भटकाने के लिए ईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है. 

 

क्या है शराब घोटाले का पूरा मामला?

ईडी की जांच में सामने आया है कि छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच एक संगठित शराब सिंडिकेट ने सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया. इस घोटाले से करीब 2161 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई, जिसे Proceeds of Crime बताया गया है. जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि आबकारी विभाग के तत्कालीन मंत्री कवासी लखमा को हर महीने नकद रकम दी जाती थी, जो इस घोटाले की कमाई से आती थी. सिंडिकेट में अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा जैसे कई प्रभावशाली नाम शामिल बताए जा रहे हैं. 

 

इस तरह सिंडिकेट ने किया शराब घोटाला 

जानकारी के अनुसार, शराब बनाने वाली कंपनियों (डिस्टिलर्स) से कमीशन के तौर पर रिश्वत ली जाती थी. राज्य की सरकारी दुकानों से बिना किसी रिकॉर्ड के देशी शराब बेची जाती थी, जिससे सरकारी खजाने को कोई लाभ नहीं हुआ. डिस्टिलर्स को फिक्स मार्केट शेयर देने के बदले मोटी रकम वसूली जाती थी, जिससे एक तरह का शराब माफिया नेटवर्क खड़ा हो गया. विदेशी शराब के लाइसेंस (FL-10A) देने के बदले भी मोटी वसूली की गई. ईडी अब तक करीब 205 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच कर चुकी है और जांच अभी भी जारी है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस घोटाले में और भी बड़े राजनीतिक नाम सामने आ सकते हैं. 

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