Advertisement

जबलपुर में विहिप के सिटी प्रेसिडेंट बेच रहे थे नकली रेमडेसिविर, केस होते ही हुए फरार

Lagatar Desk : जबलपुर में विश्व हिंदू परिषद- विहिप के सिटी प्रेसिडेंट सरबजीत सिंह मोखा बेच रहे थे नकली रेमडेसिविर. पुलिस को जब इसकी खबर लगी और उनपर केस किया गया, तो वे फरार हो गए. हुआ यूं कि सरबजीत का शहर में एक अस्पताल है. इसमें उनके दो साथी भी हैं मैनेजर देवेंद्र चौरसिया और फार्मा कंपनियों की डीलरशिप चलाने वाले स्वपन जैन. तीनों पर आरोप है कि ये लोग अपने अस्पताल में नकली रेमडेसिविर, जो कि कोरोना के इलाज में जरूरी दवा के रूप में इस्तेमाल हो रही है, बेच रहे थे. जबलपुर के एडिशनल एसपी रोहित केशवानी इसकी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि स्वपन जैन को सूरत पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वहीं मोखा और चौरसिया फरार चल रहे हैं.

कैसे मिली थी नकली दवा

मोखा राज्य सरकार के एक सीनियर मंत्री के बेटे के संपर्क में थे. उन्होंने इंदौर से 500 फेक रेमडेसिविर मंगवाए और अपने अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिवारवालों को बेच दिए. एक-एक नकली रेमडेसिविर 35 से 40 हज़ार रुपये में बेची गई. मामला सामने आने के बाद कांग्रेस ने इसे फर्जी रेमडेसिविर घोटाले से जोड़ा है. उस मामले में नमक और ग्लूकोज़ से एक लाख फर्जी रेमडेसिविर बनाकर पूरे देश में भेजना का आरोप है. मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद विवेक तनखा ने इसे लेकर ट्वीट किया है कि सीबीआई को यह मल्टी स्टेट रेमडेसिविर स्कैम सौंपा जाये. 3000 इंदौर आए और 3500 जबलपुर भी आए. दिल्ली , राजस्थान, छत्तीसगढ़ भी गए. अस्पतालों में किन और कितनो को लगे यह पब्लिक किया जाए. कौन बड़े लोग किन शहरों में लाये यह भी सामने आये.

फेक रेमडेसिविर घोटाले का खुलासा सूरत पुलिस ने किया था. वहां पुलिस एक फॉर्म हाउस में पुलिस ने एक लाख नकली रेमडेसिविर बरामद की थी. इससे पहले इंदौर की विजय नगर पुलिस को सूरत पुलिस से जानकारी मिली थी कि शहर में फर्जी रेमडेसिविर का कारोबार चल रहा है.