ऐक्शन एक फैशन बन गया है, अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील)
सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर आदिवासियों का संरक्षण जरूरी
सीएम ने कहा कि झारखंड ही नहीं पूरे देश में आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोड में प्रकृति सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहा है. प्रकृति पर आधारित आदिवासियों के पारंपरिक धार्मिक अस्तित्व के रक्षा की चिंता निश्चित तौर पर एक गंभीर सवाल है. आज आदिवासी सरना धर्म कोड की मांग इसलिए उठ रही है, ताकि प्रकृति का उपासक यह आदिवासी समुदाय अपनी पहचान के प्रति आश्वस्त हो सके. वर्तमान में कुछ संगठन समान नागरिक संहिता की मांग कर रहे हैं, ऐसे में आदिवासी/सरना समुदाय की इस मांग पर सकारात्मक पहल उनके संरक्षण के लिए नितांत आवश्यक है. आदिवासी समुदाय में भी कई ऐसे समूह हैं, जो विलुप्ति के कगार पर हैं. सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर इनका संरक्षण नहीं किया गया तो इनकी भाषा, संस्कृति के साथ-साथ इनका अस्तित्व भी समाप्त हो जायेगा. इसे भी पढ़ें : सिमडेगा">https://lagatar.in/simdega-six-police-station-in-charges-transferred/">सिमडेगा: छह थाना पदाधिकारियों का तबादला, कुमार इन्द्रेश बने कोलेबिरा थानाध्यक्ष
38 से घटकर 26 फीसदी हो गयी है आदिवासियों की संख्या
सीएम ने कहा कि पिछले आठ दशकों में झारखंड के आदिवासियों की जनसंख्या के क्रमिक विशलेषण से पता चलता है कि इनकी जनसंख्या का प्रतिशत झारखंड में 38 से घटकर 26 प्रतिशत ही रह गया है. जनसंख्या में लगातार आ रही गिरावट के कारण संविधान की पांचवी व छठी अनुसूची के अंतर्गत आदिवासी विकास की नीतियों में प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है. इन परिस्थितियों के मद्देनजर हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई और जैन धर्मावलम्बियों से अलग सरना आदिवासियों की पहचान के लिए व उनके संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण के लिए अलग सरना कोड अत्यावश्यक है. अगर यह कोड मिल जाता है तो इनकी जनसंख्या का स्पष्ट आकलन हो सकेगा और आदिवासियों की भाषा, संस्कृति, इतिहास का संरक्षण एवं संवर्द्धन हो पायेगा. आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जा सकेगी. इसे भी पढ़ें : ऑनलाइन">https://lagatar.in/demand-for-online-education-decreased-byjus-preparing-to-lay-off-3500-employees/">ऑनलाइनपढ़ाई की डिमांड घटी, 3500 कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी में Byju’s [wpse_comments_template]

Leave a Comment