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झारखंड में पेसा कानून पर कांग्रेस की मुहिम, ड्राफ्ट पर मंथन, मांगा सुझाव

Ranchi : प्रदेश कांग्रेस पेसा कानून लागू करने को लेकर पूरी तरह से गंभीर है. इसको लेकर  मंथन पर मंथन हो रहा है. बुधवार को गीतांजलि बैंक्वेचट हॉल में प्रदेश कांग्रेस के नेता जुटे. इसके ड्राफ्ट पर मंथन किया. कानून पर अपनी बात रखी. पार्टी के नेताओं को 20 जून पर अपना लिखित सुधाव देने को भी कहा गया.पेसा कानून, यानी पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया एक्ट, 1996 में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था. इसका उद्देश्य आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करना और उनकी पारंपरिक स्वशासन प्रणाली को संरक्षित करना है. इस कानून के तहत ग्राम सभाओं को शक्तिशाली और अधिकार संपन्न बनाने का प्रावधान है.

 

 

 

 

नए सिरे से किया जाएगा तैयार : प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के. राजू ने कहा कि पेसा नियमावली ड्राफ्ट में संशोधन कर इसे नए सिरे से तैयार किया जाएगा. इसके लिए सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदाय की पारंपरिक व्यवस्था और उनकी संस्कृति-सभ्यता का संरक्षण इस कानून के माध्यम से होगा.

 

सरकार की प्रतिबद्धता : ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि कार्यशाला में कई महत्वपूर्ण सुझाव आए हैं, जिन्हें ध्यान में रखा जाएगा। विभाग का मानना है कि अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदायों के पारंपरिक तौर-तरीकों और रूढ़िगत परंपराओं को संरक्षित करने के लिए सरकार के अन्य सहयोगी दलों के सुझावों के आधार पर कदम उठाए जाएंगे.

 

आदिवासी परंपरा और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए कृतसंकल्पित : झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है, जहां उनकी परंपरा और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए पेसा कानून लागू करने हेतु सरकार कृतसंकल्पित है. उन्होंने कहा कि यह कानून आदिवासियों के अधिकारों और उनकी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद करेगा.

 

पेसा नियमावली का महत्व : कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि पेसा नियमावली जब कानून का रूप लेगी, तो 1996 में बने पेसा एक्ट की मूल भावना के अनुरूप आदिवासियों के रीति-रिवाज और परंपराएं संरक्षित होंगी. उन्होंने कहा कि यह कानून आदिवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनकी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था और संस्कृति को संरक्षित करने में मदद करेगा.

 

आवश्यक बदलाव की जरूरत : मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने पेसा कानून को महत्वपूर्ण बताते हुए इसकी नियमावली में आवश्यक बदलाव की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि यह कानून आदिवासियों के अधिकारों और उनकी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद करेगा, लेकिन इसके लिए नियमावली में आवश्यक बदलाव करना होगा.