NewDelhi : कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि पिछले 305 दिनों में कच्चे तेल की कीमत में 16.75 रुपये प्रति लीटर की कमी आयी, लेकिन इसका फायदा देश के आम लोगों को क्यों नहीं दिया गया है? पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यह सवाल भी किया कि रूस से कच्चा तेल निजी क्षेत्र के किन लोगों ने आयात किया और किस दर पर आयात किया?
हमारे सवाल-
1. कच्चे तेल में गिरावट, फिर फायदा लोगों को क्यों नहीं?
2. कच्चे तेल का दाम 16.75 रु./लीटर घटा, ईंधन सस्ता क्यों नहीं हुआ?
3. डायनमिक प्राइसिंग कम क्यों नहीं होती?
4. PSUs के अलावा किन निजी कंपनियों ने किस भाव से रूस से कच्चा तेल खरीदा?: @GouravVallabh जी pic.twitter.com/gFL39Lmt3j
— Congress (@INCIndia) March 22, 2023
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो पेट्रोल-डीजल महंगा हो जाता है. लेकिन जब कीमतें घटती हैं तो उसका फायदा देशवासियों को नहीं मिलता. यानी जब कच्चा तेल महंगा हो तो देशवासी भरें और जब कच्चा तेल सस्ता हो तो फायदा सरकार की जेब में जाये.
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रूस से कच्चे तेल के आयात पर सिर्फ दो डॉलर प्रति बैरल का फायदा
प्रवक्ता ने कहा, मई, 2022 में कच्चे तेल की कीमत 109.5 डॉलर प्रति बैरल थी जो गत 20 मार्च को 70.69 डॉलर प्रति बैरल थी. अगर रुपये और प्रति लीटर की बात करें तो मई 2022 में कच्चा तेल 53.45 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था तो 20 मार्च 2023 में 36.68 रुपये प्रति लीटर हो गया. उन्होंने कहा, पिछले 305 दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में 16.75 रुपये की कमी आयी है, उसका फायदा लोगों को क्यों नहीं मिल रहा है?
वल्लभ ने दावा किया, दावे किये गये थे कि रूस से 45 डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल खरीदा जा रहा है, लेकिन सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि रूस से कच्चे तेल के आयात पर सिर्फ दो डॉलर प्रति बैरल का फायदा हुआ है. उन्होंने यह सवाल भी किया, ‘सरकार को बताना चाहिए कि निजी क्षेत्र के किन लोगों को रूस से कच्चा तेल मिला और किस भाव में मिला है?
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