Search

Advertisement

कोरोनाः रेल प्रशासन की लापरवाही से जा रही कर्मियों की जान, पढ़ें रेल अधिकारी का जवाब

  • साल भर से उपलब्ध वेंटिलेटर कर्मियों के काम नहीं आया
  • अभी भी रेलवे के चार सौ से अधिक कर्मी संक्रमित

Ranchi: रेलवे की लापरवाही के कारण कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने रेल कर्मियों पर कहर बरपाया है. रेलवे के पास गंभीर मरीजों के इलाज के लिए वेंटिलेटर और अन्य सुविधाएं होने के बावजूद यह सभी संसाधन कोई काम नहीं आ सके. इसकी कीमत कर्मियों से लेकर उनके परिजनों तक को चुकानी पड़ी. एक-एक करके 14 कर्मियों और उनके परिजनों ने दम तोड़ दिया. 1 दिन पहले भी एक रेलकर्मी की कोरोना से मौत हो गई. रेलवे अस्पताल में आज भी दो वेंटिलेटर साल भर से अस्पताल में डिब्बाबंद हैं. इसे परिचालित करने के लिए रेलवे के पास टेक्नीशियन तक उपलब्ध नहीं हैं.

कोरोना से लगातार दम तोड़ रहे रेलकर्मी

प्यास लगने पर कुआं खोदने के तर्ज पर रेलवे को इसके टेक्नीशियन की जरूरत तब हुई जब रांची और हटिया में रेलकर्मी कोरोना से संक्रमित होकर दम तोड़ने लगे. पिछले साल कोरोना संक्रमण की लहर के बाद गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए दो वेंटिलेटर रांची रेल मंडल को भेज दिए गए थे. लेकिन इसका उपयोग नहीं किया जा सका. देश-दुनियां में कोरोना की दूसरी लहर आने की संभावना के बावजूद रेल अधिकारी इसके प्रति लापरवाह रहे. रेल कर्मियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा.

पहले तो हटिया अस्पताल में ऑक्सीजन देने के लिए पर्याप्त बेड उपलब्ध नहीं थे. रेलवे अपने कर्मियों की इलाज के लिए भी राज्य के संसाधन और निजी अस्पतालों के भरोसे हाथ पर हाथ धरकर बैठी थी. लेकिन जब स्थिति बद से बदतर हो गयी तब जाकर अनुबंध पर 15 चिकित्सकों और पारा मेडिकल कर्मियों की नियुक्ति हुई. 28 अप्रैल तक 12 से अधिक रेलकर्मियों ने दम तोड़ दिया. साथ ही 500 से अधिक रेलकर्मी और उनके परिजन संक्रमित हो गए.

तब कहीं जाकर मंडल प्रबंधक और अन्य अधिकारियों ने ऑक्सीजन युक्त बेड की संख्या में इजाफा किया. इससे मामले कुछ हद तक नियंत्रित हुए हैं. अभी भी करीब 400 से अधिक रेलकर्मी और उनके परिजन संक्रमित हैं. इनका इलाज रेलवे अस्पताल के साथ-साथ अन्य अस्पतालों में किया जा रहा है.

रेल अधिकारी का गैर जिम्मेदाराना जवाब

रेलवे के अधिकारी नीरज कुमार ने बताया कि वेंटिलेटर ऐसा कोई सामान्य उपकरण नहीं है. जिसे पल्ग में लगाने पर स्टार्ट कर दिया जाए. उसको लगाने के लिए स्पेशलाइज्ड आदमी चाहिए. फिर उसको मेंटेन करने के लिए विशेष चिकित्सक और पारा मेडिकल टीम की जरूरत होगी. अगर इसके बाद भी स्थिति बिगड़ती है तो उसके लिए आईसीयू बेड चाहिए. इसके लिए फिर अलग से डॉक्टर और पारा मेडिकल टीम की 24 घंटे की जरूरत होगी. इतना संसाधन उपलब्ध होने के बाद ही इसे लगाया जा सकता है.