Vinit Upadhyay
Ranchi: झारखंड में कोर्ट फीस में हुई वृद्धि के बाद वकीलों का आक्रोश कम नहीं हो रहा है. 25 जुलाई को राज्यव्यापी आंदोलन के तहत न्यायिक कार्य से वकीलों ने दूरी बनायी थी. अब काउंसिल ने यह निर्देश दिया है कि झारखंड के वकील बढ़ी हुई कोर्ट फीस का भुगतान नहीं करेंगे. जिसके बाद अब एक बार फिर स्थिति ऐसी बनती दिख रही है, जिससे न्यायिक कार्य प्रभावित हो सकते हैं. झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा है कि जब तक सरकार बढ़ी हुई कोर्ट फीस पर पुनर्विचार नहीं करती, तब तक विरोध जारी रहेगा. कोर्ट फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ बड़े आंदोलन की रुपरेखा तय करने के लिए काउंसिल ने झारखंड के सभी जिलों और अनुमंडल के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महसचिव की एक बैठक रांची में आयोजित की है. जिसमें यह तय किया जायेगा कि कोर्ट फीस के विरोध में शुरू हुई इस लड़ाई का भविष्य का स्वरूप क्या होगा. इसके साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कोर्ट फीस वृद्धि के गजट को बारीकी से अध्ययन करने से ऐसा प्रतीत होता है कि झारखंड सरकार ने यह वृद्धि वर्ष 2007 में बिहार सरकार द्वारा की गई बढ़ोतरी के निर्णय की तर्ज पर किया है. लेकिन नीति निर्धारण कर रहे अधिकारियों को शायद इस बात की जानकारी नहीं है कि बिहार सरकार द्वारा लागू किये गए निर्णय पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. तमाम परिस्थितियों के बीच बुधवार को रांची में होने वाली बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
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25 जुलाई को हुआ था जोरदार विरोध
उल्लेखनीय है कि झारखंड स्टेट बार काउंसिल के निर्देश पर राज्यभर के अधिवक्ताओं ने कोर्ट फीस में की गई बढ़ोतरी का 25 जुलाई को विरोध किया था. रांची में झारखंड हाईकोर्ट और रांची सिविल कोर्ट के वकीलों ने भी काउंसिल के निर्देश का पालन करते हुए खुद को न्यायिक कार्यों से दूर रखा था. जिसका असर न्यायिक कार्यों के निष्पादन पर साफ देखने को मिला. झारखंड के सभी जिलों में वकीलों ने काला बिल्ला लगाकर अपना रोष व्यक्त किया, तो वहीं रांची सिविल कोर्ट के वकीलों ने कोर्ट परिसर से लेकर अलबर्ट एक्का चौक पर शांतिपूर्ण मार्च निकाल कर सरकार से कोर्ट फीस में की गई वृद्धि को वापस लेने की मांग की थी.
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