Ranchi : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) में इस बार पर्यावरण दिवस का जश्न कुछ हटकर रहा. यहां सिर्फ भाषण नहीं हुए, असली काम हुआ. पौधे लगाये गये, गांव वालों को ऑर्गेनिक खेती सिखाई गयी और प्लास्टिक के खिलाफ जोरदार मुहिम छेड़ी गयी
सबसे पहले कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक बगान में खुद जाकर पौधे लगाये. उनके साथ कुलसचिव के. कोशला राव, परीक्षा नियंत्रक डॉ. बीबी मिश्रा और प्रो अरविंद चंद्र पांडे भी जुटे. इस अवसर पर नीम, तुलसी, तेजपत्ता, नींबू, कढ़ीपत्ता जैसे कई पौधे ज़मीन में रोपे गये. कुलपति साहब ने साफ कहा, अब वक्त है कि हम सब मिलकर धरती के लिए कुछ करें, सिर्फ बोलने से कुछ नहीं होगा.
इसके बाद पूरा विश्वविद्यालय प्लास्टिक के खिलाफ मैदान में उतर गया. ना कहो प्लास्टिक को, हां कहो धरती को...जैसे नारों के साथ सफाई अभियान चलाया गया. टीचर हों या स्टाफ, स्टूडेंट्स हों या रिसर्च स्कॉलर, सबने मिलकर कैंपस में फैला कचरा साफ किया और प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने की कसम खायी.
पर्यावरण विज्ञान विभाग ने पास के चेरी और मनातू गांव के लोगों को बुलाकर बताया कि ऑर्गेनिक खेती कैसे की जाती है. उन्हें वर्मी-कम्पोस्ट (यानि केंचुए से बनी जैविक खाद) बनाने और इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी गयी. डॉ. भास्कर सिंह और डॉ. अनुराग लिंडा ने लोगों को समझाया कि जैविक कचरे को फेंकने की चीज़ नहीं, बल्कि उसे खेत की ताकत बनाना चाहिए.
डॉ. अनुराग लिंडा ने कहा, अब वक्त है कि हम ऐसा भविष्य बनाएं जहां प्रकृति को बचाया जाये. न कि उसे नजरअंदाज किया जाये. हम गांवों के साथ मिलकर मनातू को हरा-भरा बनाएंगे. कार्यक्रम के आखिर में, विश्वविद्यालय में बनी वर्मी-कम्पोस्ट गांववालों में बांटा गया ताकि वे खुद भी इसका इस्तेमाल कर सकें और खेतों को रसायनमुक्त बना सकें.