Ranchi : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUJ) में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) द्वारा प्रायोजित दो-सप्ताहिक क्षमता निर्माण कार्यक्रम (CBP) का दूसरा दिन विशेष रूप से चिंतन और ज्ञानवर्धक सत्रों के साथ संपन्न हुआ.
इस कार्यक्रम का विषय “सामाजिक विज्ञानों में मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध विधियां” है, जिसे शिक्षा विभाग और अर्थशास्त्र एवं विकास अध्ययन विभाग ने संयुक्त रूप से आयोजित किया.
कार्यक्रम की शुरुआत प्रतिभागियों द्वारा प्रार्थना और प्रेरक विचार के साथ हुई. पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. (डॉ.) तपन कुमार बसंतिया ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए दिन के विशेषज्ञ का सम्मानित किया और सत्रों का औपचारिक आरंभ किया.
पहले सत्र में जेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (XISS), रांची के ग्रामीण प्रबंधन विभाग के प्रो. डॉ. निरंजन साहू ने “सामाजिक विज्ञान अनुसंधान: महत्त्व, दायरा और प्रक्रिया” पर व्याख्यान दिया. उन्होंने शोध की दार्शनिक जड़ों और वैज्ञानिक अनुसंधान के आधारों को समझाया. डॉ. साहू ने प्रतिभागियों को बताया कि शोध में आलोचनात्मक सोच और सुव्यवस्थित दृष्टिकोण कितने महत्वपूर्ण हैं.
दूसरे सत्र का संचालन CUJ के शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो. विमल किशोर ने किया. उन्होंने गुणात्मक और मात्रात्मक शोध विधियों का परिचय देते हुए शोध प्रक्रिया, तर्क प्रणाली और शोध उपकरणों के चयन पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए. प्रो. किशोर ने छात्रों के ध्यान अवधि में कमी जैसी आधुनिक चुनौतियों पर भी चर्चा की और प्रतिभागियों को शोध की व्यावहारिक समझ विकसित करने में मदद की.
तीसरे सत्र में रांची विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रो. डॉ. बिनोद नारायण ने “साहित्य समीक्षा: स्रोत, मूल प्रक्रियाएं और चरण” विषय पर विस्तृत प्रस्तुति दी. उन्होंने व्यवस्थित साहित्य समीक्षा की महत्ता, शोध साहित्य खोजने की रणनीतियां और शोध अंतर (research gaps) पहचानने के तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी.
दिन का अंतिम सत्र क्षेत्रीय कार्य और डेटा संग्रह पर केंद्रित था, जिसमें प्रतिभागियों ने समूहों में मिलकर फील्ड तैयारी और बुनियादी डेटा संग्रह के अभ्यास किए. सभी सत्रों में प्रतिभागियों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई और प्रस्तुतियों की गहराई, स्पष्टता तथा व्यावहारिक उपयोगिता की सराहना की.
कार्यक्रम के दूसरे दिन का समापन प्रतिभागियों द्वारा विशेषज्ञों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और राष्ट्रीय गान के साथ हुआ. यह कार्यक्रम देशभर के सामाजिक विज्ञान संकायों की शोध क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य को साकार करता है.
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