Ranchi : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में आईसीएसएसआर-प्रायोजित दो-सप्ताहिक क्षमता निर्माण कार्यक्रम (सीबीपी) के पांचवें दिन की शुरुआत शांत एवं आत्मचिंतनपूर्ण वातावरण में हुई.

दिन का आरंभ सभी प्रतिभागियों द्वारा सामूहिक प्रार्थना से हुआ, जिसका संचालन अर्थशास्त्र एवं विकास अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर तथा कार्यक्रम के प्रतिभागी डॉ. आशीष कुमार मेहर ने किया. इसके उपरांत पाठ्यक्रम निदेशक एवं सह-पाठ्यक्रम निदेशक ने दिन के विशेषज्ञों का औपचारिक स्वागत किया.
दिन के शैक्षणिक सत्र भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI), न्यू बरगंडा, गिरिडीह के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हरि चरण बेहरा द्वारा संचालित किए गए. उन्होंने गुणात्मक शोध और सहयोगात्मक अन्वेषण पर केंद्रित तीन प्रभावशाली सत्र प्रस्तुत किए.
उन्होंने प्रतिभागियों को साक्षात्कार अनुसूची, अवलोकन अनुसूची और फोकस समूह चर्चा जैसे प्रमुख उपकरणों से परिचित कराया. डॉ. बेहरा ने फील्ड वर्क में संवाद-क्षमता, प्रोबिंग तकनीकों और नैतिक संवेदनशीलता के महत्व पर बल देते हुए बताया कि समृद्ध एवं प्रामाणिक डेटा कैसे एकत्र किया जाए.
डॉ. बेहरा ने यह भी स्पष्ट किया कि शोध एक लचीली और निरंतर विकसित होती प्रक्रिया है, जिसमें समायोजन और पुनःसमायोजन आवश्यक है. उन्होंने ओपन, एक्सियल और सलेक्टिव कोडिंग का प्रदर्शन करते हुए बताया कि गुणात्मक सॉफ्टवेयर शोध की विश्लेषणात्मक कठोरता को कैसे बढ़ाते हैं. प्रतिभागियों ने उनकी व्यावहारिक व्याख्याओं और उदाहरणों की सराहना की.
कार्यशाला खंड में उन्होंने केस उदाहरणों, समूह चर्चाओं और टीम-गतिविधियों के माध्यम से प्रभावी टीमवर्क, अंतर्विषयक सहयोग और साझा शैक्षणिक लक्ष्यों की उपयोगिता पर विशेष जोर दिया.
दिन का तीसरा सत्र जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय के शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो. संजय भुइयां द्वारा लिया गया. उन्होंने प्रयोगात्मक शोध की मूल अवधारणाएं—प्रयोगात्मक ढांचा, नियंत्रण समूह, रैंडमाइजेशन, चर का नियंत्रित उपयोग और वैधता—सरल, स्पष्ट और प्रभावी तरीके से समझाईं.
उन्होंने प्री-एक्सपेरिमेंटल, क्वासी-एक्सपेरिमेंटल और ट्रू एक्सपेरिमेंटल डिज़ाइनों में अंतर बताते हुए कारण–प्रभाव संबंधों की स्थापना में प्रयोगात्मक विधियों की भूमिका समझाई.
शाम को भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास, नैक समन्वयन अध्यक्ष प्रो. के बी पंडा, डीन अकादमिक प्रो. मनोज कुमार, कुलसचिव के. कोसल राव, वित्त अधिकारी पी. के. पंडा, डॉ. विमल किशोर सहित विश्वविद्यालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.
सीयूजे के छात्रों ने संबलपुरी, बंगाली और ओडिशी लोकनृत्यों सहित कई मनमोहक प्रस्तुतियां दीं. बिहार के त्यौहारों पर आधारित थीमेटिक नृत्य और देवी-रूपों के माध्यम से दिव्य नारीत्व की अभिव्यक्ति ने दर्शकों को विशेष रूप से आकर्षित किया.
एक पीएच.डी. शोधार्थी द्वारा प्रस्तुत बांसुरी वादन ने सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसके साथ ही, सीबीपी के प्रतिभागियों ने भी मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन किया—बीएचयू के डॉ. आकाश रंजन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया, जबकि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, भोपाल के सहायक प्रोफेसर राकेश कुमार वर्मा ने प्रभावशाली एकल नाट्य प्रस्तुति दी. सीयूजे के डॉ. शिव कुमार ने भी शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी.
पूरे दिन की गतिविधियां—शैक्षणिक सत्रों की गहराई, शोध पद्धतियों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण और सांस्कृतिक संध्या की जीवंतता—ने क्षमता निर्माण कार्यक्रम के पांचवें दिन को अत्यंत सार्थक एवं यादगार बना दिया.
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