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20 दिन से काम की तलाश में भटकते दिहाड़ी मजदूर, सरकार से लगाई मदद की गुहार

Ranchi :  राज्य के दिहाड़ी मजदूर बरसात की वजह से आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. रोजगार की तलाश में सुबह बाजार पहुंचने वाले अधिकतर मजदूर करीब 20 दिनों से खाली हाथ घर लौटने को मजबूर हैं. 

 

काम नहीं मिलने से दिहाड़ी मजदूरों को परिवार पालना मुश्किल हो रहा है. वे एक वक्त का खाना, बच्चों की पढ़ाई, इलाज और बुनियादी जरुरतें को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है, ताकि उनका जीवन दोबारा पटरी पर लौट सके. 

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काम नहीं मिलने से एक वक्त का खाना जुटाना मुश्किल

दिहाड़ी मजदूरों का कहना है कि हर सुबह काम की उम्मीद में बाजार आते हैं. लेकिन उन्हें खाली हाथ घर लौटना पड़ा रहा है. उनका कहवा है कि पहले एक दिन में 800 से 900 रुपये तक मिल जाते थे, जिससे घर का खर्च चल जाता था. लेकिन पिछले 20 दिनों से उन्हें काम नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. 

 

काम की तलाश में आये मजदूरों ने बताया कि एक वक्त का खाना जुटाना भी दुस्वार हो गया है. कभी-कभी तो उन्हें और उनके परिवार को भूखे पेट भी सोना पड़ता है. बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई है. क्योंकि स्कूल की फीस देने तक के पैसे नहीं हैं. बताया कि कई मजदूर अपना गांव-घर छोड़कर यहां रोजगार की तलाश में आए हैं. लेकिन उन्हें यहां भी निराशा के सिवा कुछ नहीं मिल रहा है. 

 

पढ़े-लिखे लोग भी मजदूरी करने को मजबूर

रोजगार के हालत इतने बदतर हो चुके हैं कि अब शिक्षित युवक और महिलाएं भी दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं. एक युवक ने बताया कि हमने सोचा था पढ़-लिखकर अच्छी जगह नौकरी मिलेगी. लेकिन हकीकत इससे परे है. अब वही पढ़ाई और डिग्री बेकार लग रही है. पढ़े लिखे होने के बावजूद फावड़ा और तसला उठाना मजबूरी हो गई है. 

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मजदूरों की मांग-सरकारी प्रोजेक्ट्स में मिले काम 

मजदूरों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें राज्य में चल रहे निर्माण कार्यों और सरकारी योजनाओं में काम दिया जाए, ताकि उनके घर का चूल्हा जल सके और उनके बच्चों को बेहतर भविष्य मिल सके. साथ ही उन्होंने यह भी अपील की कि पढ़े-लिखे मजदूरों को उनकी योग्यता के अनुसार काम दिया जाए, ताकि वे उनका भविष्य बेहतर हो सके. 

मजदूरों का कहना है कि सरकार उनकी ओर ध्यान नहीं देती, क्योंकि वे समाज के सबसे निचले तबके से आते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार उनकी बात सुने और जल्द कोई समाधान निकाले, ताकि उन्हें फिर से काम मिल सके और उनका जीवन पटरी पर लौट सके.

 

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