- सफर करना मतलब गाड़ी व यात्री दोनों की बॉडी की ऐसी-तैसी.
- रांची से टाटा जाने में कम पर लौटते वक्त ज्यादा गड्ढे.
- चांडिल में कई सालों से बन रहा है एक पुल.
- जमशेदपुर से रांची आने में 2 के बदले 3 घंटे लगने लगे.
- रांची-टाटा 4 लेन पर दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ी.
Ranchi : रांची से टाटा (जमशेदपुर) जाने वाली सड़क NH-33 जगह-जगह टूट गई है. इतनी कि वाहनों को नुकसान हो रहा है. दुर्घटनाएं हो रही हैं. लेकिन NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का टोल वसूलना पहले की तरह जारी है. बुंडू के पास कार से 60 रुपये और चांडिल के निकट 25 रुपये की टोल वसूली हो रही है.
रांची के नामकुम के रामपुर के पास से शुरू होने वाला 4 लेन सड़क जमशेदपुर शहर के बाहर तक पहुंचाता है. यह सड़क अब टूटने लगी है. रांची से जमशेदपुर जाने के दौरान तो थोड़ा कम टूटी है, लेकिन लौटने वाले लेन (जमशेदपुर से रांची) में ज्यादा जगहों पर सड़कें टूटी हुई है. इतनी की 2 घंटे की सफर पूरी करने में 3 घंटे का समय लग जाता है. ऊपर से कमर दर्द एक्स्ट्रा बोनस में मिलता है.
12 जुलाई की घटना है. तैमारा घाटी में रांची से जमशेदपुर जाने वाली लेन की सड़क इतनी खराब तरीके से टूट गई है कि एक ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया. पूछने पर पता चला कि ढ़लान की वजह से ट्रक की रफ्तार तेज हो गई थी. इसी दौरान अचानक गड्ढे में टायर आ जाने से पहिये का गुल्ली टूट गया और ट्रक डिवाइडर से टकरा गया.
दूसरी तरफ चांडिल में पिछले कई सालों से पुल बन ही रहा है. इस कारण पुरानी सड़क से वाहनों का आना-जाना मजबूरी है. सूखा है तो धुल मिलेगा और अगर बारिश हो गई तो कीचड़ में सनी सड़क. ऊपर से गड्ढे, जो आपके सफर को तकलीफदेह बना देते हैं.
जमशेदपुर से रांची लौटने के क्रम में शायद ही कुछ किमी तक अच्छी सड़क मिल जाये. अधिकांश जगहों पर गड्ढे बन गए हैं. वाहन चालक या तो गड्ढ़ों में कुदते-फांदते निकलने को मजबूर हैं या दांये-बायें कट मार करके दुर्घटनाओं के खतरे बढ़ाते नजर आएंगे. दोनों स्थिति में गाड़ी और आपकी बॉडी की ऐसी की तैसी हो जाती है. इसलिए अगर आप भी इस सड़क से गुजर रहे हों, तो जरा संभल कर..
सरकार टोल टैक्स वसूलती है. यह अलग बात है कि अच्छी सड़क देने का नाम पर ही सरकार रजिस्ट्रेशन के वक्त वाहन मालिकों से मोटी रकम वसूलती है और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी इसी नाम पर टैक्स व सेस लेती है. चलिये, लोगों ने स्वीकार कर लिया है कि अच्छी सड़क के नाम पर सरकार को तीसरी बार भी टैक्स देना ही होगा. ठीक है. पर, जब सड़क ही अच्छी नहीं है, तो फिर टोल किस बात की. क्यों नहीं तब तक के लिए टोल वसूली रोकी जाये, जब तक गड्ढे भरे ना जाए.