ये गाड़ियां ना सिर्फ नियम तोड़ रही हैं, बल्कि आम जनता की जान के लिए खतरा बन चुकी हैं. कई वाहनों के ब्रेक तक ठीक नहीं, लाइटें गायब, बीमा खत्म और कुछ की तो हालत ऐसी कि कब टूटकर बिखर जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता.इसे भी पढ़ें - 1st">https://lagatar.in/1st-jpsc-scam-six-accused-surrender-in-cbi-court-fill-bail-bond/">1st
JPSC घोटाला : छह आरोपियों ने CBI कोर्ट में किया सरेंडर, बेल बॉन्ड भी भरे
alt="" width="600" height="400" /> सवाल साफ है क्या परिवहन विभाग सड़क पर चलने वाले इन वाहनों को देखकर भी अनजान बना हुआ है? क्या इन वाहनों को खुली छूट देने के पीछे किसी ऊपर के आदेश की छाया है? अगर इन गाड़ियों से हादसा होता है, तो क्या विभाग हाथ खड़े करेगा? नियम सबके लिए या सिर्फ आम आदमी के लिए? जब आम आदमी अपनी गाड़ी का बीमा या फिटनेस एक दिन भी लेट करता है, तो तगड़ा चालान कटता है. लेकिन ये जर्जर गाड़ियां सालों से दौड़ रही हैं – कोई पूछने वाला नहीं. क्या कानून सिर्फ गरीब और आम आदमी पर ही लागू होता है? DTO की चुप्पी भी सवालों के घेरे में भले ही विभाग की ओर से ये कहा जा रहा हो कि गाड़ियों को नोटिस भेजा गया है. लेकिन सवाल उठता है – सालों से सड़कों पर दौड़ रही बगैर फिटनेस की गाड़ियों को नोटिस अब क्यों? और क्या ये नोटिस भी सिर्फ दिखावे भर के हैं? जनता पूछ रही है क्या सड़क पर दौड़ती इन `मौत की गाड़ियों` को रोका जाएगा? क्या विभाग सिर्फ चालान काटकर खानापूर्ति करेगा या असल में कार्रवाई भी होगी? और सबसे जरूरी – क्या जनता की जान की कोई कीमत है या फिर सिर्फ आंकड़ों का खेल है? अब समय आ गया है कि परिवहन विभाग सिर्फ फाइलों से बाहर निकले और जमीनी कार्रवाई शुरू करे. वरना ये हादसे सिर्फ आंकड़े नहीं, इंसानी जिंदगियों की बर्बादी हैं. इसे भी पढ़ें -IAS">https://lagatar.in/ias-pooja-singhals-husband-abhishek-not-rizwan-will-represent-pulse-hospital-in-the-court/">IAS
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