Ranchi : साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मौत के मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग तेज हो गयी है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर सत्ता पक्ष के विधायक भी उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर भी रूपा की मौत के लिए दोषी लोगों को फांसी की सजा देने की मांग की जा रही है. सामाजिक संगठनों ने भी रूपा तिर्की की मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे हैं. सोशल मीडिया में कई तरह के संदेह प्रकट किये जा रहे हैं. साथ ही सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया जा रहा है. शुक्रवार को रातू काठीटाड़ चौक में रूपा तिर्की की इंसाफ के लिए मानव शृंखला बनायी गयी. विरोध प्रदर्शन में रूपा की मां और बहन भी शामिल हुईं. प्रदर्शन में शमिल लोगों के हाथों में रूपा तिर्की को इंसाफ दो, रूपा के हत्यारों को गिरफतार करो सहित सीबीआई जांच की मांग की तख्तियां थीं.
दोषियों की गिरफ्तारी की मांग
आदिवासी छात्र संघ जुड़े रमेश मुंडा ने कहा कि रूपा तिर्की के हत्यारों को तुरंत गिरफ्तार किया जाय. रूपा की हत्या करके उसे आत्महत्या की कहानी रचने का प्रयास किया जा रहा है. सरकार हत्यारों को बचाने का प्रयास कर रही है, जिसे आदिवासी समाज माफ नहीं करेगा. आदिवासी छात्र संघ के केन्द्रीय अध्यक्ष सुशील उरांव ने कहा कि रूपा के हत्यारे को गिरफ्तार कराने के लिए आदिवासी समाज एकजुट होकर गांव से लेकर शहर तक आंदोलन करेगा.
परिजनों ने कहा-आत्महत्या नहीं मर्डर है
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर सतापक्ष के विधायक ने भी रूपा तिर्की की आत्महत्या को संदिग्ध मान रहे हैं. मांडर विधायक बंधु तिर्की, भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी के बाद महिला विधायक सीता सोरेन और दीपिका पांडेय सिंह, आजसू पाटी सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो ने भी रूपा तिर्की की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की है. वहीं दूसरी ओर रूपा के परिजन भी इसे हत्या करार दे रहे हैं. सोशल मीडिया में रूपा की आत्महत्या की कहानी को गलत बताया जा रहा है. दिवगंत रूपा को न्याय दिलाने के लिए ट्विटर पर भी कैंपेन चल रहा है. फेसबुक पर भी अपने संदेशों के जरिए लोग कई तरह के संदेह प्रकट कर रहे हैं. सीबीआई जांच की मांग के साथ कई तरह के सवाल भी उठाये जा रहे हैं.
फेसबुक यूजर के कमेंट सोशल मीडिया पर
Lakra Krishna फेसबुक यूजर ने लिखा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हूल विद्रोह के प्रणेता वीर शहीद सिदो कान्हू के वंसज के हत्या के मामले में सीबीआई जांच कराने में महीनों लगा दिए थे तो थानेदार रूपा तिर्की के मामले में उम्मीद करना बेमानी है. Vipin Toppo ने कहा कि आज ये अहसास पक्का हो गया कि राज्य में चाहे किसी की भी सरकार रहे. यहां हमारी आवाज सुनने वाला कोई नहीं . हम आदिवासी सब राजनीतिक पार्टियों के लिए मात्र वोट बैंक है सिर्फ. Nirmal Murmu लिखते है भाई साहब राज्य सरकार सीबीआई जांच के लिए केवल अनुशंसा ही कर सकता है. सीबीआई गृह मंत्रालय के अधीन केन्द्र सरकार की एजेंसी होती है।उसके लिए मोटा भाई का सहमति मिलना अनिवार्य है.हां सरकार को रुपा तिर्की के मामले में सीबीआई जांच की अनुशंसा अविलंब कर देना चाहिए.सरकार की चुप्पी से हमको दूसरी बात यह भी लग रहा है, शायद पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार हो रहा हो. यदि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मर्डर साबित हो जाता है तो सीबीआई की कोई जरूरत नहीं. आरोपीयों की धड़ पकड़ शुरू हो जाएगी. लेकिन सरकार को मुंह खोलना चाहिए.
Amarnath Lakra लिखते है .मैं पूछना चाहता हूँ कि,
◆ क्या घुटनों के बल बैठकर आत्महत्या संभव है ?
◆ जहाँ खड़े होकर फंदा लगाया जा सकता है वहां कुर्सी की जरूरत है ?
◆ क्या मरते वक्त बहन को कोई तकलीफ नहीं हुई, उसने हाथ-पैर नहीं चलाये, फिर बेडशीट एक दम बराबर कैसे ?
◆ फंदे वाली रस्सी कमर के पास से तौलिये के अंदर से कैसे गुजरी ?
◆ कोई भी इंसान कम कपड़ों में फांसी क्यों लगाएगा ?
◆ क्या कोई ऐसा केस था, जिसमें किसी अपराधी को गिरफ्तार कर रूपा ने किसी के इगो को हर्ट कर दिया ?
◆ जो ऑडियो वायरल किया गया, क्यों किया गया ? वो किसने किया, और एक छोटी से ऑडियो से किसी का चरित्र जाना जा सकता है क्या ?
मेरे मन में एक ही सवाल है अब, क्यों पुलिस और मीडिया दोनों मिलकर इसको आत्महत्या घोसित करना चाहते हैं ?
Behula Sardar लिखते हैं, आदिवासी मुख्यमंत्री और आदिवासी राज्यपाल के होते हुए भी यदि रूपा को न्याय न मिले तो यह शर्म की बात है.