Ranchi: हाईकोर्ट ने देवघर दुर्घटना के लिए जिम्मेवार करार दिये गये दामोदर रोपवे एंड इंफ्रा लिमिटेड(DRIL) का सिविल रिव्यू पिटीशन ख़ारिज कर दिया है. DRIL ने हाईकोर्ट के उस फैसले के ख़िलाफ सिविल रिव्यू पिटिशन दायर किया था, जिसमें सरकार द्वरा लगाये गये 9.11 करोड़ रुपये के दंड और पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई को सही करार दिया गया था.
राज्य सरकार ने 10 अप्रैल 2022 को हुई इस दुर्घटना की जांच के बाद DRIL को इस दुर्घटना के लिए दोषी माना था. साथ ही उस पर 9.11 करोड़ रुपये का दंड लगाने और पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट करने का फैसला किया था. सरकार के इस फैसले को DRIL ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
इसमें दंडात्मक कार्रवाई को गलत और एक पक्षीय बताया गया था. DRIL की ओर से दायर याचिका पर न्यायाधीश एसएन पाठक और न्यायाधीश नवनीत कुमार की पीठ में सुनवाई हुई थी. न्यायालय ने सुनवाई पूरी करने के बाद नवंबर 2024 में अपना फैसला सुनाया.
इसमें सरकार द्वारा DRIL के ख़िलाफ की गयी दंडात्मक कार्रवाई को सही करार दिया गया था. DRIL ने हाईकोर्ट द्वारा उसकी याचिका ख़ारिज करने के ख़िलाफ 2025 में सिविल रिव्यू पिटीशन दायर किया. इसमें न्यायालय से 2024 में दिये गये अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया.
DRIL की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश तकलोक सिंह और न्यायाधीश राजेश शंकर की पीठ में सुनवाई हुई. न्यायालय ने सुनवाई के बाद DRILकी याचिका यह कहते हुए ख़ारिज कर दी है कि इसमें कोई नया तथ्य नहीं है.
सरकार ने देवघर रोपवे दुर्घटना की जांच के बाद DRIL पर लगाये गये 9.11 करोड़ रुपये के दंड की वसूली की जिम्मेवारी झारखंड पर्यटन विकास निगम (JTDC) को दी थी. JTDC ने DRIL से पैसों की वसूली के लिए मनी सूट दायर किया.
JTDC की ओर से 4-10-2024 को दायर इस मनी सूट में कई खामियां थी. न्यायालय ने इस डिफेक्ट को दूर करने का निर्देश दिया था. लेकिन JTDC की ओर से अब तक डिफेक्ट दूर नहीं किया गया है. JTDC की इस लापरवाही की वजह से DRIL से दंड के रकम की वसूली के लिए चल रही न्यायिक प्रक्रिया में अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है.
उल्लेखनीय है कि इस रोपवे दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गयी थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने इसकी उच्चस्तरीय तकनीकी जांच कराने का फैसला किया था. जांच की जिम्मेवारी सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट (CMERI) को सौंपी थी.
CMERI ने अपनी जांच रिपोर्ट में कई तकनीकी खामियों को उजागर किया. इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने DRIL को दोषी करार देते हुए उसके ख़िलाफ दंडात्मक कार्रवाई की थी.
देवघर त्रिकूट रोपवे से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
राइटस ने रोपवे की लागत 6.14 करोड़ रुपये बतायी थी.
राइट्स ने वर्ष 2005 में दामोदर रोपवे एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी को रोपवे निर्माण का काम दिया.
निर्माण पूरा करने के बाद राइट्स ने 21-7-2009 को रोपवे पर्यटन विभाग को सौंप दिया.
21 अगस्त 2008 को रोपवे को चलाने के लिए झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को सौंपा.
कॉरपोरेशन ने रोपवे के मेंटेनेंस के लिए दामोदर रोपवे एंड कंस्ट्रक्शन के साथ 11 जनवरी 2021 को इकरारनामा किया.
10-4-2022 को दुर्घटना की वजह से रोपवे चलना बंद हो गया, 59 लोग रास्ते में ही फंस गये.
राहत कार्य के लिए सेना के जवानों ओर वायु सेना की मदद ली गयी.
10 लोगों को जिला प्रशासन ने बचाया, बचाव कार्य के दौरान दो यात्रियों की मौत हो गयी.
पर्यटन विभाग ने 19-4-2022 को दुर्घटना की जांच का आदेश दिया.
जांच समिति ने सरकारी प्रयोगशाला (जैसे सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) से जांच कराने का फैसला किया.
इस फैसले के आलोक में जांच का काम सीएमआरआई को दिया गया.
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