Jitan Kumar
Deoghar : दशहरा के दौरान बुरी नजर से बचाने के लिए माताएं बच्चों को काले कपड़े में बंधी एक पोटली गले में पहनाती हैं. खासकर तब जब किसी से नजर लगने का डर हो या किसी उत्सव खास मौके पर नजर लगने का अंदेशा हो. ऐसा माना जाता है कि यह बुरी ऊर्जा को दूर रखती है और सुरक्षा प्रदान करती है.
कैसे बनाते है पोटली
माताएं हींग, लाल मिर्च, गोटा सरसों, बालू, लहसुन, मिलाकर एक छोटी पोटली काला कपड़ा में बनाती हैं. इस पोटली को बच्चों और घर के पुरुषों को गले और कमर में बांध देती हैं, इससे बुरी नजर से बचाव होता है. आपको बात दें कि यह अष्टमी पूजा तक रहता है और नवमी पूजा के दिन इसे निकाल कर कुएं में फेंक दिया जाता है.
आपको बता दें कि इसको गले में पहनना चाहिए क्योंकि यह शरीर का एक केंद्रीय बिंदु है जहां से ऊर्जा प्रभावित होती है. इसलिए यह नजर से सुरक्षा प्रदान करता है.
यह प्रथा कब की जाती है विशेष कर त्योहारों के अवसरों पर जैसे दशहरा जब बहुत से लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं तब बच्चों को बुखार या अन्य किसी बीमारी से ग्रसित होने पर माताएं इससे बुरी नजर का प्रभाव मानकर इसका उपाय या उपयोग करती हैं. जब बच्चा किसी यात्रा पर जा रहा हो या किसी नई जगह पर जा रहा हो तो उसे बुरी नजर से बचने के लिए भी या पोटली बनाई जाती है.
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