Dhanbad : तेजी से बदलते डिजिटल युग में देश में 82 प्रतिशत लोग डिजिटल लेन-देन का उपयोग कर रहे हैं. लेकिन इसके जोखिमों को समझने और सुरक्षित वित्तीय निर्णय लेने में अधिकतर लोग अभी भी पीछे हैं. यह बातें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के क्षेत्रीय निदेशक प्रेम रंजन ने गुरुवार को धनबाद में कहीं. वह कोयला नगर में आयोजित वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम में कहीं. उन्होंने बताया कि डिजिटल भुगतान जितना आसान और तेज हुआ है उतना ही आवश्यक है कि लोग इससे जुड़े जोखिमों और सुरक्षा उपायों के बारे में भी जागरूक हों.
उन्होंने बताया कि डिजिटल लेन-देन करने वालों में से केवल 31 प्रतिशत लोग ही संभावित जोखिमों से पूरी तरह अवगत हैं. ऐसे में वित्तीय साक्षरता आज की सबसे बड़ी जरूरत है. वित्तीय साक्षरता बढ़ने से लोग अपने वित्तीय अधिकारों को समझकर सही निर्णय ले सकेंगे. साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देंगे. उन्होंने बताया कि विकसित देशों में वित्तीय साक्षरता दर 50 से 60 प्रतिशत तक है, जबकि भारत में यह 30 प्रतिशत से भी कम है, जो चिंता का विषय है.
उन्होंने यह भी कहा कि आज भारत GDP के मामले में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और आने वाले वर्षों में तीसरे स्थान पर पहुंचने की ओर अग्रसर है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यदि हमें आर्थिक रूप से और मजबूत होना है, तो देश में वित्तीय साक्षरता को बढ़ाना बेहद आवश्यक है.
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