- आउटसोर्सिंग कंपनियों पर विधानसभा समिति सख्त
- एक महीने में रैयतों की समस्या के समाधान का भरोसा
- रैयतों की समस्याओं पर बनेगा विशेष कोषांग
- राजस्व नुकसान की भरपाई के निर्देश
Dhanbad : झारखंड विधानसभा की विशेष समिति (प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण) ने रविवार को निरसा क्षेत्र के कुइयां कोलियरी, गोपालपुर और मुगमा इलाके का निरीक्षण किया. समिति ने ग्रामीण रैयतों से उनकी समस्याओं और सुझावों की विस्तृत जानकारी ली.
समिति की अध्यक्षता टुंडी विधायक मथुरा महतो ने की. जबकि सदस्य के रूप में निरसा विधायक अरूप चटर्जी, धनबाद विधायक राज सिन्हा, सिंदरी विधायक चंद्रदेव महतो, तोरपा विधायक सुदीप गुड़िया, चंदनकियारी विधायक उमाकांत रजक और बोरियो विधायक धनंजय सोरेन मौजूद रहे.
रैयतों की समस्या पर बनेगा विशेष कोषांग
निरीक्षण के बाद सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में सभापति मथुरा महतो ने कहा कि रैयतों की समस्याओं का शीघ्र समाधान करने के लिए डीसी आदित्य रंजन के निर्देश पर एक विशेष कोषांग का गठन किया जाएगा. इसमें रैयतों से कागजात लेकर त्वरित निराकरण होगा और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त मानवबल भी लगाया जाएगा. उन्होंने भरोसा जताया कि एक महीने के भीतर रैयतों की समस्या का समाधान हो जाएगा.
अवैध डंपिंग और राजस्व नुकसान पर कार्रवाई
समिति ने पाया कि खनन कंपनियों ने कई हेक्टेयर रैयती भूमि लेकर भी उसकी रजिस्ट्री नहीं कराई है, जिससे राज्य सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ है. साथ ही बिना सहमति रैयती और सरकारी जमीन पर आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा ओवर बर्डन (ओबी) डंपिंग की जा रही है, जिससे ग्रामीणों के घर, सड़क और विद्यालय क्षतिग्रस्त हुए हैं. समिति ने आदेश दिया कि प्रभावितों को मुआवजा मिले और खनन कंपनियां डंपिंग व ब्लास्टिंग के मानकों का पालन करें.
सरकारी योजना का एनओसी 15 दिन में
सर्किट हाउस में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के अधिकारियों को भी तलब किया गया. समिति ने उन्हें निर्देश दिया कि सरकारी योजनाओं के लिए 15 दिन के भीतर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करें. एनओसी लंबित रहने से जनकल्याणकारी योजनाएं प्रभावित होती हैं और बड़ी आबादी लाभ से वंचित रह जाती है.
खनन कंपनियों पर निगरानी और डीजीएमएस से रिपोर्ट
समिति सदस्य निरसा विधायक अरूप चटर्जी और धनबाद विधायक राज सिन्हा ने बताया कि झरिया से बलियापुर तक के भ्रमण में पाया गया कि खनन कंपनियां खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रही है. इसलिए डीजीएमएस को विगत 3 वर्षों में किए गए उल्लंघनों से संबंधित पत्राचार का विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. साथ ही खुलासा हुआ कि कंपनियां 1972 के नेशनलाइजेशन एक्ट से बाहर की लगभग 23 हजार हेक्टेयर सरकारी भूमि पर खनन कर रही हैं. अब इसकी मापी कर कंपनियों से राजस्व वसूला जाएगा.
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